मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यूपीआई लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) लगाए जाने संबंधी तमाम दावे निराधार और भ्रामक हैं। मंत्रालय ने कहा कि सरकार यूपीआई के डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कई ऑनलाइन रिपोर्टों में दावा किया गया था कि सरकार बड़े यूपीइआई लेन-देन पर एमडीआर लगाने की योजना बना रही है। एमडीआर तत्क्षण भुगतान के लिए बैंक या भुगतान सेवा प्रदाता द्वारा कारोबारियों से लिया जाने वाला शुल्क है। सरकार एमडीआर शुल्क को 2020 में ही समाप्त कर चुकी है।
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