विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में ‘दक्षिण पूर्व एशिया और जापान के साथ पूर्वोत्तर भारत का एकीकरण, आर्थिक संबंधों और पारिस्थितिक संरक्षण को संतुलित करना’ विषय पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया। मीडिया की माने तो, इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत के विभाजन ने कई तरह से पूर्वोत्तर राज्यों की प्राकृतिक कनेक्टिविटी को तोड़ दिया। राजनीतिक बाधाओं के साथ-साथ प्रशासनिक मुद्दों के कारण क्षेत्र के विकास पर भी इसका असर पड़ा।
मिली जानकारी के मुताबिक, भारत के विभाजन के परिणाम ने कई मायनों में उस प्राकृतिक संपर्क को तोड़ दिया, जो पूर्वोत्तर के पास था या होता। पजयशंकर ने छात्रों से बात करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर में विकास का जो स्तर देखा जाना चाहिए था, वह धीमा हो गया। विभाजन के बाद पहले कुछ दशकों में, पूर्वोत्तर को वह लाभ नहीं मिला जो देश के अन्य हिस्सों को मिला। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ‘पूर्वोत्तर में मौजूदा आर्थिक स्थिरता मजबूत मोर्चे की ओर बढ़ रही है। अब हम जो देख रहे हैं, ईमानदारी से कहूं तो यह बहुत पहले आना चाहिए था यदि इतिहास हमारे प्रति दयालु होता। जैसा कि मैं हमेशा कहता हूं, भारत को पूर्व की ओर देखने के लिए, दिल्ली को पहले पूर्व की ओर देखना चाहिए और फिर उत्तर-पूर्व को देखना चाहिए। यह तब क्षमता और संभावनाएं हैं पूर्वोत्तर की पूरी सराहना की जाएगी।
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