मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, संसद में एक प्रमुख कारोबारी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के बीच दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा में पहले स्थगत के बाद सदन की कार्यवाही साढ़े 11 बजे शुरू हुई, तो कांग्रेस, वामपंथी दलों, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी सहित विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। इस कारण सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले आज सवेरे सदन की कार्यवाही शुरू हुई, तो सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की ओर से नियम 267 के अंतर्गत स्थगन नोटिस खारिज कर दिये। ये नोटिस प्रमुख कारोबारी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों, मणिपुर हिंसा और उत्तरप्रदेश के सम्भल में हिंसा के मामलों पर दिये गये थे। सभापति ने कहा कि वे सदन की कार्यवाही निलंबित करने से संबंधित नियम कई बार दोहरा चुके हैं और ऐसे नोटिस स्वीकार नहीं किये जा सकते। उन्होंने कहा कि राज्यसभा को सभापति के निर्देशों का पालन करना चाहिए। सभापति ने कहा कि पिछले तीस वर्षों में केवल एक बार ही नियम 267 लागू किया गया है। श्री धनखड़ ने सदस्यों से अनुरोध किया कि बहस और चर्चा का अनुकूल वातावरण बनाएं और सदन की कार्यवाही में सहयोग करें। विपक्षी सदस्यों ने शोर-शराबा जारी रखा और सदन को साढ़े 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
उधर, लोकसभा में पहले स्थगन के बाद जब दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य एक प्रमुख कारोबारी समूह पर कथित रिश्वतखोरी के आरोपों और अन्य मुद्दों को लेकर नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए। पीठासीन अधिकारी ने कई बार सदन में व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध किया लेकिन विपक्षी सदस्यों का विरोध जारी रहा। इसके कारण सदन को दिनभर के लिए स्थगित करना पड़ा।
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News & Image Source: newsonair.gov.in