DailyAawaz द्वारा बड़ी दीदी के चरणों में समर्पित यह छोटा सा आलेख
उप्र (वृंदावन): जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) की अध्यक्षा एवं जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की ज्येष्ठ पुत्री डॉ विशाखा त्रिपाठी, जिन्हें स्नेहयुक्त सम्मान से सभी बड़ी दीदी कहते थे, उनका दिव्य व्यक्तित्व सेवा और नि:स्वार्थता के साथ अनुशासन की जीवंत मिशाल था। उनके व्यवहार और जीवनशैली ने यह प्रमाणित कर दिया कि कोई भी सफल नेतृत्व अधिकार से नहीं बल्कि सेवा के साथ सादगी और दूरदर्शी सोच से दिव्यता और भव्यता के साथ निखरता है। उनका जन्म 1949 में भक्ति धाम के पास लीलापुर गाँव में हुआ था। बचपन से ही उनके शांत, सरल और दृढ़ स्वभाव ने उनकी एक अलग पहचान बना दी थी। यही कारण रहा कि बाद में उन्होंने गुरु भक्ति और सेवा द्वारा लाखों लोगों को जीवन में एक नयी दिशा में जीवन के उद्देश्य को समझने के लिए प्रेरित किया।
डॉ विशाखा त्रिपाठी (बड़ी दीदी) ने 2002 में जेकेपी का नेतृत्व संभला और देश-दुनिया में करीबन 1 करोड़ से ज्यादा लोगों तक आध्यात्मिक और समाजिक सेवाओं को सफलतापूर्वक पहुँचाया। प्रतिदिन बड़ी दीदी का भक्ति और सेवा के लिए पूर्ण समर्पित था जिसमें यह शिक्षा निहित थी कि मानव जीवन का सच्चा उद्देश्य हरि गुरु की सेवा है। उनका हर शब्द और कार्य जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के अनुयायियों को शांति, उज्ज्वल आशा और नई प्रेरणा देता था। बड़ी दीदी की सरलता और मधुर स्वभाव में एक अविस्मरणीय चुंबक था जो लोगों की आंतरिक चेतना में जागृति पैदा कर देता था। बड़ी दीदी का बिल्कुल सरल अंदाज में किसी को सांत्वना देना या किसी को उचित रास्ता दिखाना, उनका हर प्रयास लोगों के हृदय को छू जाता था। उनके प्रयासों से जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय और शिक्षा के संस्थानों ने समाज के हर वर्ग को समुचित लाभ पहुँचाया। उनकी सच्ची सेवाओं के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें प्रमुख हैं राजीव गांधी ग्लोबल एक्सिलेंस अवार्ड और नारी टुडे पुरस्कार आदि। बड़ी दीदी का जीवन प्रेम, सेवा और समर्पण का जीवंत उदाहरण था।
उन्होंने अपनी गहरी लगन और सच्चे परिश्रम से, विश्व के 5वें मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के जन-कल्याण के कार्यों को शुभ आकार देकर आगे बढ़ाया। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने वर्ष 2002 में जेकेपी की बागडोर अपनी तीनों सुपुत्रियों डॉ विशाखा त्रिपाठी, डॉ श्यामा त्रिपाठी और डॉ कृष्णा त्रिपाठी के हाथों में सौंप दी थी। बड़ी दीदी जेकेपी और मनगढ़, कुंडा स्थित भक्ति मंदिर की अध्यक्षा नियुक्त की गईं। तभी से उन्होंने जीवों के आध्यात्मिक एवं भौतिक उत्थान और कल्याण के लिए अपने महान पिता के लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। कृपालु जी महाराज ने लोगों को भक्ति पथ पर आगे बढ़ाने के लिए तीन प्रमुख मंदिरों की स्थापना की। इनमें वृंदावन धाम स्थित प्रेम मंदिर, बरसाना धाम में कीर्ति मंदिर और अपने जन्म स्थान श्री कृपालु धाम मनगढ़ में भक्ति मंदिर की स्थापना की। (सभी सनातनी भारतीयों को एक बार जरुर श्री कृपालु जी महाराज द्वारा स्थापित वृंदावन धाम के प्रेम मंदिर, बरसाना धाम के कीर्ति मंदिर और कृपालु धाम मनगढ़ के अवश्य दर्शन करना चाहिये।)
जरूरतमंदों को शारीरिक व्याधियों से बचाने के लिए श्री कृपालु जी महाराज ने वृंदावन, बरसाना और मनगढ़ में तीन नि:शुल्क चिकित्सालय स्थापित किए जहां न केवल इलाज और चेकअप बल्कि दवाईयां भी बिल्कुल मुफ़्त दी जाती हैं। साथ ही जेकेपी द्वारा नियमित रूप से साधना शिविरों का भी आयोजन किया जाता है जिसमें रूप ध्यान संकीर्तन और साधना के द्वारा उसका निरंतर अभ्यास कराया जाता है। 2013 में श्री कृपालु जी महाराज के गोलोक जाने के पश्चात डॉ विशाखा त्रिपाठी (बड़ी दीदी) ने संस्था की गतिविधियों में कोई कमी नहीं आने दी बल्कि अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने जेकेपी का दायरा कई गुना बढ़ा दिया जिसके द्वारा लोगों को भौतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र दोनों में बहुत लाभ मिला।
24 नवंबर 2024 की सुबह, उन लाखों लोगों को एक असहनीय आघात लगा जब एक दुःखद सड़क दुर्घटना में डॉ विशाखा त्रिपाठी(बड़ी दीदी) का अचानक निधन हो गया। बड़ी दीदी की असमय बिदाई उनके प्रियजनों और जेकेपी के लिये अपूरणीय क्षति है। वे अब हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं हैं लेकिन उनकी शिक्षाएँ और उनकी सेवा का जज्बा हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने अपने जीवन को हरि-गुरु की सेवा में समर्पित किया और लाखों लोगों को भी यही रास्ता दिखाया। बड़ी दीदी के दिखाये गये रास्ते पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बड़ी दीदी की पूरी जीवनशैली एक प्रेरणा है जिसमें महाचेतना महकती है।
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