शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि शिक्षक ही हमारी शिक्षा-प्रणाली की प्राण-शक्ति हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि – “शिक्षक दिवस के इस अवसर पर मैं अपने उन शिक्षकों का सादर स्मरण करती हूं जिन्होंने मुझे न सिर्फ पढ़ाया बल्कि प्यार भी दिया और संघर्ष करने की प्रेरणा भी दी। अपने परिवार व शिक्षकों के मार्गदर्शन के बल पर मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। हमारी संस्कृति में शिक्षक पूजनीय माने जाते हैं। मैं भी यह मानती हूं कि एक निष्ठावान शिक्षक को अपने जीवन में जिस तरह की सार्थकता का अनुभव होता है उसकी तुलना नहीं की जा सकती है।”
उन्होंने कहा कि – “मैं अपने जीवन के उस पक्ष को सबसे अधिक महत्व देती हूं जो शिक्षा से जुड़ा हुआ है। मुझे रायरंगपुर में श्री ऑरोबिंदो इंटीग्रल स्कूल में शिक्षक के रूप में योगदान देने का अवसर मिला था। मैं मानती हूं कि यदि स्कूल स्तर की शिक्षा मजबूत नहीं होगी तो उच्च-शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं हो सकता। मैं मानती हूं कि विज्ञान, साहित्य, अथवा सामाजिक शास्त्रों में मौलिक प्रतिभा का विकास मातृभाषा के द्वारा अधिक प्रभावी हो सकता है। विज्ञान और अनुसंधान के प्रति रुचि पैदा करना शिक्षकों की ज़िम्मेदारी है।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा कि – “भारत की स्कूली शिक्षा-व्यवस्था, विश्व की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में शामिल है। 15 लाख से अधिक स्कूलों में, लगभग 97 लाख शिक्षकों द्वारा 26 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान की जा रही है। शिक्षक ही हमारी शिक्षा-प्रणाली की प्राण-शक्ति हैं।”
News & Image Source : Twitter @rashtrapatibhvn
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