श्राद्ध पक्ष का समय, अपने पूर्वजों के प्रति पूर्ण श्रद्धा से कार्य करने का विशेष समय है।यह सत्य भी है कि हमारे पूर्वज, हमारे अस्तित्व की नींव होते हैं। हजार जन्म लेकर भी हम उनके ऋण से मुक्त नहीं हो सकते। उनके प्रति कृतज्ञ होने का, उनका सम्मान करने का एक भी अवसर हमें नहीं गंवाना चाहिए।
श्राद्ध क्या है.?
श्रद्धार्थमिंद श्राद्धम् ।
श्रद्धया इदं श्राद्धम् ॥
पितरों के उद्देश्य से विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता उसे श्राद्ध कहते हैं। शास्त्रों में मनुष्य के लिए देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण उतारना आवश्यक है अतः पितृऋण से मुक्ति हेतु श्राद्ध करके हम मुक्ति को प्राप्त हो सकते है। पितृपक्ष में एैसी मान्यता है कि हमारे पूर्वज उनके से, पृथ्वी लोक पर विचरण हेतु आकर हमारे व्यवहार और उनके प्रति हमारी श्रद्धा का अवलोकन करते हैं। अपनी उत्कृष्ट जीवन पद्धति से ही हम अपने पूर्वजों को गौरवान्वित कर शांति पहुँचा सकते है।