श्रीलंका में, राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्से मालदीव चले गये हैं। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाल लिया है। श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्द्धने ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किए जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनकी नियुक्ति श्रीलंका के संविधान के अनुच्छेद 37 की धारा 1 के तहत की गई है।
कार्यवाहक राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने पदभार संभालने के तुरंत बाद देश में आपातकाल घोषित कर दिया है और पश्चिमी प्रांत में तत्काल प्रभाव से कर्फ्यू लगा दिया है। यह कदम समूचे श्रीलंका में विभिन्न स्थानों पर जारी विरोध प्रदर्शनों के जवाब में उठाया गया है। गाले फेस ग्रीन क्षेत्र में गो होम गोटा प्रदर्शन स्थल पर आज सवेरे हुई झडपों के बाद चार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने कोलम्बो में प्रधानमंत्री कार्यालय के पास प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। हालांकि, श्री विक्रमसिंघे ने नागरिकों की मांगों का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबाया ने इस्तीफा देने का वायदा किया था लेकिन समाचार एजेंसी के अनुसार गोताबाया आधी रात को देश छोडकर एक सैन्य विमान से मालदीव चले गये। कोलम्बो में गो होम गोटा के विरोध में हजारों लोग 96 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। शुरू में पुलिस के साथ झड़पों के बाद प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख सरकारी भवनों और आवासों पर कब्जा कर लिया, जिससे राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री को पद छोड़ने का वादा करना पड़ा। यह आंदोलन मार्च में शुरू हुआ, हजारों लोग लंबे समय तक बिजली काटे जाने और बढ़ती कीमतों के विरोध में गुस्सा प्रकट करने के लिए सडकों पर उतर आए। श्रीलंका में आर्थिक संकट 2019 में शुरू हुआ था जो 1948 में स्वतंत्रता के बाद देश का सबसे बुरा संकट माना जा रहा है। इस दौरान महंगाई की दर में बेतहाशा वृद्धि हुई, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और चिकित्सा आपूर्ति की कमी आ गई। भारत ने श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को देखते हुए कई प्रकार के ऋणों के माध्यम से भोजन, दवाएं और ईंधन उपलब्ध कराकर साढे तीन अरब डॉलर से अधिक की मानवीय सहायता के रूप में श्रीलंका की मदद की।
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