सरकार ने टोल टैक्स से वसूले 1.44 लाख करोड़, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी जानकारी

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सरकार ने टोल टैक्स से वसूले 1.44 लाख करोड़, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी जानकारी

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार को नेशनल हाइवे पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत चलने वाले टोल प्लाजा पर टैक्स के रूप में 1.44 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है। इस बात की जानकारी केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में दी। उन्होंने बताया कि यह कमाई दिसंबर 2000 से लेकर अब तक हुई है। इसके साथ ही उन्होंने के कहा कि नेशनल हाईवे के सभी उपयोगकर्ता टोल प्लाजा राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 और संबंधित रियायत समझौते के प्रावधान के अनुसार स्थापित किए गए हैं। नीतिन गडकरी ने एक अलग सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने फास्टैग के साथ एक एक्स्ट्रा फीचर लेकर आए है, जो इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए मुक्त टोलिंग के कार्यान्वयन की शुरुआत की है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित टोलिंग प्रणाली राष्ट्रीय राजमार्गों पर कहीं भी चालू नहीं है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनएच शुल्क नियम, 2008 (दिनांक 9 सितंबर, 2024) में संशोधन किया गया है ताकि ऑन-बोर्ड यूनिट (ओबीयू) के जरिए से जीएनएसएस-आधारित टोलिंग प्रणाली को सक्षम किया जा सके और जिन वाहनों में वैध, कार्यात्मक ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम ऑन-बोर्ड यूनिट नहीं लगी हो, उनके उपयोगकर्ताओं को उस टोल प्लाजा पर उस श्रेणी के वाहन के लिए लागू उपयोगकर्ता शुल्क के दो गुना के बराबर शुल्क का भुगतान करना होगा। अगर जीएनएसएस आधारित टोलिंग चालू हो जाती है। जीएनएसएस आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली में, एनएच शुल्क नियम, 2008 और उसके संशोधन के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग या एक्सप्रेस वे पर वाहन द्वारा यात्रा की गई वास्तविक दूरी के आधार पर टोल शुल्क लगाया जाएगा। जबकि, वर्तमान में, उपयोगकर्ता शुल्क संबंधित शुल्क प्लाजा की परियोजना प्रभाव लंबाई के आधार पर टोल प्लाजा पर एकत्र किया जाता है। ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) एक सैटेलाइट बेस्ड तकनीक है, जिसका इस्तेमाल टोल टैक्स वसूलने के लिए भारत में किया जाएगा। इस सिस्टम की मदद से टोल रोड पर वाहनों की आवाजाही का ट्रैक किया जाता है। इसके साथ ही हाईवे पर यात्रा की गई दूरी के आधार पर टोल टैक्स काटा जाता है।

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