मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार ने 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये की रक्षा सामग्रियों के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। उन्होंने उत्तराखंड के देहरादून में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद’ विषय पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अगले चार वर्षों में इस क्षेत्र में देश का निर्यात 50 हज़ार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। रक्षा मंत्री ने इस बात का भी उल्लेख किया कि देश में वार्षिक रक्षा उत्पादन आज रिकॉर्ड 1 लाख 30 हज़ार करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है जो 2014 में लगभग 40 हज़ार करोड़ रुपये था। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने इस वर्ष तक 1 लाख 75 हज़ार करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात बढ़कर 23 हजार छह सौ बाईस करोड़ रुपये तक हो गया है और भारत में बने रक्षा उत्पादों का निर्यात लगभग एक सौ देशों में किया जा रहा है। उन्होंने आतंकवाद से निपटने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार की रणनीति का उल्लेख करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक के रूप में उभरा है और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिन हथियारों और साजोसामान का उपयोग किया गया वे भारत में ही बने थे। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि आज भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है, बल्कि ऐसी प्रणाली भी बना रहा है जो हमें सामरिक, आर्थिक और तकनीकी रूप से मजबूत बना रही है। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि पहले भारत पूरी तरह से विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भर था, लेकिन आज इस क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। भारत की रक्षात्मक क्षमताओं के संबंध में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल देश में निर्मित अत्याधुनिक हथियारों, मिसाइलों, टैंकों और दूसरे साजोसामान का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि अग्नि, पृथ्वी और ब्रह्मोस जैसी स्वदेशी मिसाइलें दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं।
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