साहित्यकार पंडित हरिराम द्विवेदी का हुआ निधन, PM मोदी सहित कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

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मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जाने माने वयोवृद्ध साहित्यकार पंडित हरिराम द्विवेदी का निधन हो गया है। सोमवार को उन्होंने अपने महमूरगंज मोती झील स्थित आवास पर अन्तिम सांस ली। पंडित हरिराम द्विवेदी पिछले 8 महीने से गंभीर रूप से अस्वस्थ चल रहे थे। रविवार की रात करीब 12 बजे उनकी तबीयत अधिक बिगड़ गई और उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया जहा उन्‍होंने अन्तिम सांसे ली। मिली जानकारी के अनुसार, पंडित हरिराम द्विवेदी का अंतिम संस्कार आज 9 जनवरी को मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।

पंडित हरिराम द्विवेदी के निधन की जानकारी मिलते ही साहित्यकारों और शुभचिंतकों ने शोक जताया है। मीडिया की माने तो, मर्यादा इस देश की पहचान है, गंगा पूजा है, धर्म दिन है, ईमान है, गंगा जैसे प्रसिद्ध गंगा गीत सहित दर्जनों भोजपुरी गीत लिखने वाले पंडित हरिराम द्विवेदी ‘हरी भैया’ आकाशवाणी के लोकप्रिय कवि रहे। उन्हें साहित्य अकादमी भाषा सम्मान, राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा), साहित्य भूषण (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा), साहित्य सारस्वत सम्मान (हिंदी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग) सहित कई पुरस्कार मिले थे। उनकी मुख्य रचना काव्य संग्रह अंगनइया, पातरि पीर, जीवनदायिनी गंगा, साई भजनावली, पानी कहे कहानी, पहचान, नारी, रमता जोगी, बैन फकीर, हाशिये का दर्द, नदियों गइल दुबराय आदि है। मूल रूप से मिर्जापुर के शेरवा गांव निवासी पंडित हरिराम द्विवेदी का जन्म 12 मार्च 1936 को हुआ था।

वहीं उनके निधन पर कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है। पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स पर लिखा “हिंदी साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार और काशी के निवासी पंडित हरिराम द्विवेदी जी के निधन से दुखी हूं। अंगनइया और जीवनदायिनी गंगा जैसे कविता संग्रहों और अपनी विभिन्न रचनाओं के साथ, वे हमेशा हमारे जीवन में उपस्थित रहेंगे। उन्हें श्रीचरणों में स्थान मिले, ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है।”

वहीं भाजपा के राष्‍ट्रअध्‍यक्ष जे पी नड्डा ने लिखा “काशी के मूर्धन्य साहित्यकार, लोकप्रिय कवि पंडित हरिराम द्विवेदी जी का निधन हिंदी व लोक-साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है। अनेक राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित द्विवेदी जी के द्वारा रचित माँ गंगा की महिमा व लोक-परंपरा को समर्पित रचनाएं अमर हैं और हमारी कालजयी संस्कृति के प्रसार का माध्यम बनी रहेंगी। मैं बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना करता हूँ कि पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें। ॐ शांति!”

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