मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीबीआइ ने 31.60 करोड़ के बैंक फ्राड में सिंगापुर निवासी राजेश रोथरा को गुरुवार काे दिल्ली से गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। आरोपित को लखनऊ की कोर्ट में गुरुवार को पेश कर तीन दिनों की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। सीबीआइ लखनऊ एंटी करप्शन ब्रांच ने उससे नए सिरे से पूछताछ शुरू की है। लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच में उसके विरुद्ध बैंक फ्राड व अन्य ठगी के आठ मुकदमे दर्ज हैं पर वह अब तक जांच एजेंसी के हाथ नहीं लग सका था। आरोपित के दिल्ली के एक प्रतिष्ठित होटल में ठहरे होने की सूचना थी। उसे दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक होटल से गिरफ्तार दबोचा गया।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सीबीआइ के अनुसार धोखाधड़ी का मामला पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की शिकायत के बाद सामने आया था, जिसमें फ्रास्ट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एफआइईएल) कंपनी के निदेशकों द्वरा लोक सेवकों व अन्य लोगों से 31.60 करोड़ रुपये हड़पने का आरोप है। एफआइईएल ने जाली बिल प्रस्तुत करके साख पत्र (लेटर आफ क्रेडिट) की रकम हड़पी थी, जिसमें एफआइईएल व राजेश बोथरा की दो कंपनियां फारईस्ट व गल्फ डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड शामिल थीं। कंपनी ने बैंक से विदेशी ऋण पत्र (एफएलसी) सीमा का लाभ उठाकर धोखाधड़ी की। अब तक की जांच सामने आया कि राजेश बोथरा ने फर्जी बिल उपलब्ध कराए थे। कंपनियों के बीच गलत तरीके से खरीद-बिक्री के लेनदेन दिखाए गए थे। एफआइईएल ने बैंक को फर्जी बिल प्रस्तुत किए थे। मामले में पीएनबी को 31.60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। जांच में यह भी सामने आया कि वास्तव में कोई व्यापार नहीं हुआ था। केवल फर्जी बिलों के जरिए रकम हड़पी गई। राजेश बोथरा के विरुद्ध लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच भी करोड़ों रुपये की ठगी के मामलों में जांच कर रही है। इनमें कई मामलों में अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी भी की गई थी और कोर्ट में आरोपपत्र भी दाखिल किए जा चुके हैं। आरोपित राजेश बोथरा इन मामलों की जांच के दौरान कभी सीबीआइ के सामने नहीं आया।
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