मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कल भारतीय वित्तीय बाजारों को अधिक कुशल, समावेशी और निवेशक-अनुकूल बनाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की। सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे की अध्यक्षता में बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया। सबसे बड़े बदलावों में से एक यह है कि स्टार्टअप संस्थापकों को अब अपनी कंपनियों के आईपीओ आने के बाद भी अपने कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना – ईसॉप्स को बनाए रखने की अनुमति होगी। इससे पहले, संस्थापकों को आईपीओ के बाद ‘प्रवर्तक’ माना जाता था और वे ईसॉप्स के लिए पात्र नहीं थे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में, सेबी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों – पीएसयू की स्वैच्छिक डीलिस्टिंग के लिए नए ढांचे को मंजूरी दी है। अगर शेयरधारक मंजूरी देते हैं तो पीएसयू को अब शेयर बाजार से आसानी से हटाया जा सकता है। अधिक से अधिक दीर्घकालिक विदेशी पूंजी आकर्षित करने के लिए, सेबी ने उन विदेशी निवेशकों के लिए नियमों को भी सरल बनाया है जो विशेष रूप से सरकारी बॉन्ड में निवेश करते हैं। इन बॉन्ड में जोखिम कम होता है, इसलिए सेबी ने पंजीकरण और अनुपालन आवश्यकताओं को आसान बना दिया है। इस कदम से स्थिर रिटर्न की तलाश कर रहे वैश्विक निवेशकों के लिए भारत को अधिक आकर्षक बनाने की आशा है। सेबी ने वैकल्पिक निवेश कोष – एआईएफ को लाभ पहुंचाने वाले बदलाव भी किए हैं। ये फंड अब अपने निवेशकों को सह-निवेश वाहन नामक अलग सेटअप के माध्यम से सह-निवेश करने की अनुमति दे सकते हैं। इससे बड़े निवेशकों को उन्हीं निजी कंपनियों में अधिक निवेश करने का अवसर मिलता है, जहां एआईएफ ने पहले ही निवेश किया हुआ है। इसका उद्देश्य बड़े निवेशकों को आशाजनक सौदों में अधिक प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने में मदद करना है।
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