मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा धनतेरस से देवउठनी एकादशी तक सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय उत्पाद की बिक्री करने वालों से बाजार कर/ शुल्क न लेने के निर्णय को छोटे व्यवसाइयों ने सराहा है। “वोकल फॉर लोकल” को प्रोत्साहित करने मुख्यमंत्री द्वारा की गई इस अनूठी पहल से रेहड़ी-पट्टी पर अस्थाई रूप से स्व-उत्पादित सामग्री बेचने वालों में खुशी की लहर है।
नरसिंहपुर के वासु कुमार बताते हैं कि आज भी कई कुम्हार परिवार हैं, जो अपने इस पुस्तैनी काम को कर रहे हैं, जो बाजारों में रंग-बिरंगे मिट्टी के मटके, रंगोली, मूर्तियां, गुल्लक, करबे, दीये बनाकर इसे जिंदा रखे हुए हैं। खास बात यह है कि यह सारी चीजें कम दाम पर मिल जाती हैं। वे कहते हैं कि नरसिंहपुर जिला प्रशासन ने हमारी सुविधा का ख्याल रखा है। मिट्टी के बर्तन आदि बाजार के मुख्य स्थानों में बेचने के लिए जगह उपलब्ध कराई गई है। साथ ही किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लिया जा रहा है। कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने छोटे व्यवसाइयों का ध्यान रख कर दीपावली की खुशियों को दो गुना कर दिया है।
नरसिंहपुर के ही रोहित चक्रवर्ती बताते हैं कि मिट्टी का सामान बेचने के लिए कारीगरों द्वारा अपनी मोटर साईकिल, हाठ ठेले एवं साईकिल से जाकर दूर हाट बाजारों तक जाना पड़ता है। वे मानते हैं कि बाजारों में आने वाली चाइनिज लाईटों, दीयों ने मिट्टी के दीयों का स्थान लिया है। लेकिन स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए जो अपील प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की है वह प्रशंसनीय है। उन्होंने इन स्थानीय उत्पादों को स्थानीय लोगों से खरीदने का आहवान भी किया है। इससे हमारी पुस्तैनी विरासत एवं स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही कुम्हारों को उनकी मेहनत का सही दाम मिलेगा। मिट्टी के दीये, बर्तन प्रकृति संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
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News Source: mpinfo.org