प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन संगोष्ठी ‘स्वावलंबन’ को संबोधित करते हुए कहा है कि, “बीते 4-5 वर्षों में हमारा डिफेंस Import लगभग 21% कम हुआ है। इतने कम समय में ये सब हुआ है। आज हम सबसे बड़े डिफेंस इम्पोर्टर की बजाय एक बड़े एक्सपोर्टर की तरह तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पिछले 8 वर्षों में हमारा defence export 7 गुणा बढ़ा है। अभी कुछ समय पहले ही हर देशवासी गर्व से भर उठा जब उसे पता चला कि पिछले साल हमनें 13 हजार करोड़ रुपये का डिफेंस एक्सपोर्ट किया है और इसमें भी 70% हिस्सेदारी हमारे प्राइवेट सेक्टर की है। बीते 8 वर्षों में हमने सिर्फ defence का बजट ही नहीं बढ़ाया है, ये बजट देश में ही defence manufacturing ecosystem के विकास में भी काम आए, ये भी सुनिश्चित किया है। रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए तय बजट का बड़ा हिस्सा आज भारतीय कंपनियों से खरीद में ही लग रहा है।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “अपने पब्लिक सेक्टर डिफेंस कंपनियों को हमने अलग-अलग सेक्टर में संगठित कर उन्हें नई ताकत दी है। आज हम ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि IIT जैसे अपने premier institutions को भी हम defence research और innovation से कैसे जोड़ें। बीते दशकों की अप्रोच से सीखते हुए आज हम सबका प्रयास की ताकत से नए defence ecosystem का विकास कर रहे हैं। आज defence R&D को private sector, academia, MSMEs और start-ups के लिए खोल दिया गया है। भारत का defence sector, आज़ादी से पहले भी काफी मजबूत हुआ करता था। आज़ादी के समय देश में 18 ordnance factories थीं, जहां artillery guns समेत कई तरह के सैनिक साजो-सामान हमारे देश में बना करते थे। दूसरे विश्व युद्ध में रक्षा उपकरणों के हम एक अहम सप्लायर थे।”
उन्होंने आगे कहा कि, “हमारी होवित्जर तोपों, इशापुर राइफल फैक्ट्री में बनी मशीनगनों को श्रेष्ठ माना जाता था। हम बहुत बड़ी संख्या में एक्सपोर्ट किया करते थे। लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि एक समय में हम इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े importer बन गए? भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य 21वीं सदी के लिए बहुत जरूरी और अनिवार्य है। आत्मनिर्भर नौसेना के लिए पहले स्वावलंबन सेमिनार का आयोजन होना अपने आप में एक अहम कदम है। 75 indigenous technologies का निर्माण एक तरह से पहला कदम है। हमें इनकी संख्या को लगातार बढ़ाने के लिए काम करना है। आपका लक्ष्य होना चाहिए कि भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष का पर्व मनाए, उस समय हमारी नौसेना एक अभूतपूर्व ऊंचाई पर हो। आज जब हम डिफेंस में आत्मनिर्भर भविष्य की चर्चा कर रहे हैं, तब ये भी आवश्यक है कि बीते दशकों में जो हुआ, उससे हम सबक भी लेते रहे, इससे हमें भविष्य का रास्ता बनाने में मदद मिलेगी।”
News & Image Source : (Twitter) @BJP4India