हरियाणा: डिजिटल अरेस्ट कर ठगने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़, 9 गिरफ्तार

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बाबा सिद्दीकी हत्याकांड का मुख्य शूटर बहराइच से गिरफ्तार, 4 अन्य भी पकड़े गए
(Representative Image)

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोनीपत शहर थाना साइबर पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट कर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। डिजीटल अरेस्ट कर लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुके गिरोह का भंडाफोड़ कर थाना साइबर पुलिस ने 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपित देशभर में ठगी की 2473 वारदातों को अंजाम देकर 8.78 रुपये ठग चुके है। आरोपित मोशिन महाराष्ट्र के पेट सांगली, विरानी विवेक गुजरात के जिला सूरत के धर्ममिष्ठा पार्क, श्रवण उर्फ काकू राजस्थान के जिला जोधपुर के गांव ढाणिया लवेरा, विनेश टांक सूरत, आकाश गोयानी राजस्थान और तुषार प्रताप उत्तर प्रदेश के लखनऊ के सराय हसनगंज का रहने वाला है। ठगों ने सोनीपत की एक युवती से ठगी की वारदात को अंजाम दिया था। जिसके बाद थाना साइबर पुलिस ने छानबीन कर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। शहर की मैक्स हाइट्स सोसायटी में रहने वाली इंद्राणी ने चार अक्टूबर को पुलिस को शिकायत दी थी कि उनके पास एक अक्टूबर को वाट्सएप पर वीडियो कॉल आई थी। कॉल करने वाले ने दावा किया कि वो सीबीआई से है। उनके नाम से बने क्रेडिट कार्ड पर गलत तरीके से लेनदेन हुआ है। जिसकी वो जांच कर रहे हैं। कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए उसे रुपये जमा करवाने के लिए कहा गया। डर के चलते उसने अलग-अलग बार में 6,85,000 रुपये डाल दिए। बाद में उसे साइबर ठगी का अहसास हुआ तो मामले की शिकायत थाना साइबर पुलिस को दी। अब थाना साइबर पुलिस ने जांच कर आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों के पास से नकदी, मोबाइल, चेकबुक और एटीएम कार्ड बरामद किए है। पुलिस के मुताबिक आईसीसीसीसी से प्राप्त डाटा के मुताबिक आरोपितों के खिलाफ पूरे देश में 2473 शिकायत और 95 मुकदमें दर्ज है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस उपायुक्त पूर्वी प्रबीना पी. ने बताया कि ये साइबर ठगी का नया तरीका है। ठग वाट्सएप या अन्य किसी माध्यम से वीडियो कॉल करते हैं। ये पुलिस की वर्दी में होते हैं या खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हैं। बैकग्राउंड में थाने का पूरा सेटअप दिखेगा। जिससे पीड़ित सच समझ लेता है। झूठे मामले को लेकर पीड़ित को पहले काफी डराया जाता है, जिससे वह घबरा जाता है। इसके बाद उन्हें घर से बाहर निकलने से मना कर दिया जाता है। दूसरा फोन कॉल कर के पीड़ितों को मदद देने का आश्वासन दिया जाता है। मदद मानकर पीड़ित ठगों की कही हुई हर बात को फालो करता है। ठग पीड़ितों को एक एप डाउनलोड करने को कहते हैं। लगातार उस एप के जरिये पीड़ित से जुड़े रहते हैं। कुछ देर बाद वह केस को रफा-दफा करने के लिए पीड़ित से कुछ पैसे मांगते हैं। पीड़ित को इतना डरा दिया जाता है कि वह अपने स्वजन और करीबियों से भी इस तरह की बातें बताने में घबराने लगता है और रुपये ट्रांसफर कर देता है। यदि कोई आपको पुलिस या सीबीआई अधिकारी बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो सबसे पहले आपको अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचित करना चाहिए। तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करानी चाहिए, इस बात से नहीं डरना चाहिए कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी। आप तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर- 1930 डायल करें।

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