मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत का बड़ा हिस्सा इन दिनों भीषण गर्मी से जूझ रहा है और अब मौसम विभाग ने ये बताकर चिंता बढ़ा दी है कि आने वाले दिनों में तापमान और बढ़ेगा। बुधवार को राजस्थान के बाड़मेर में पारा 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो इस साल अब तक देश में सबसे ज्यादा है। गर्मी के चलते जलस्त्रोत सूख रहे हैं, जिससे पीने के पानी का संकट बढ़ सकता है। दिल्ली में तो बिजली की खपत 8 हजार मेगावॉट तक पहुंच गई है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में कम से कम 24 स्थानों पर बुधवार को अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा दर्ज किया गया। राजस्थान के बाड़मेर में 48 डिग्री सेल्सियस, चुरू में 47.4 डिग्री सेल्सियस, फलौदी में 47.8 डिग्री और जैसलमेर में 47.2 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। मध्य प्रदेश के रतलाम में अधिकतम तापमान 45 डिग्री, महाराष्ट्र के अकोला में 44.8 डिग्री, हरियाणा के सिरसा में 47.7 डिग्री, पंजाब के भटिंडा में 46.6 डिग्री, गुजरात के कांडला में 46.1 डिग्री और उत्तर प्रदेश के झांसी में 45 डिग्री दर्ज किया गया।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, मौसम विज्ञान विभाग ने अगले कुछ दिनों में उत्तर-पश्चिम भारत में तीन से चार डिग्री की वृद्धि की भविष्यवाणी की है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। मौसम विभाग ने राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए गर्मी का रेड अलर्ट जारी किया है। जिसमें लोगों को गर्मी से बचने और धूप में बाहर न निकलने की अपील की गई है क्योंकि बीमार होने और हीट स्ट्रोक का खतरा बहुत ज्यादा है। खासकर अगले चार दिनों तक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में रातें भी गर्म होंगी। रात का उच्च तापमान खतरनाक माना जाता है क्योंकि इससे शरीर को ठंडा होने का मौका नहीं मिलता।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, प्रचंड गर्मी बिजली ग्रिडों पर दबाव डाल रही है और जलस्रोत सूख रहे हैं, जिससे देश के कुछ हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति पैदा हो रही है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण पिछले सप्ताह पांच वर्षों में अपने सबसे निचले स्तर पर गिर गया, जिससे कई राज्यों में पानी की कमी बढ़ गई और जलविद्युत उत्पादन पर काफी असर पड़ा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 1998 से 2017 के बीच हीटवेव के परिणामस्वरूप 1,66,000 से अधिक लोगों की मौत हुई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल जुलाई में संसद को बताया था कि भारत में 2015 और 2022 के बीच हीटवेव के कारण 3,812 मौतें हुईं, अकेले आंध्र प्रदेश में 2,419 मौतें हुईं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गर्म मौसम के दौरान लोग कम उत्पादक होते हैं और बच्चों को सीखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। भारत में 75 प्रतिशत श्रमिक गर्मी से परेशान हैं, बढ़ती गर्मी और उमस से आशंका जताई जा रही है कि इस दशक के अंत तक गर्मी से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 4.5 प्रतिशत (लगभग 150-250 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर) का नुकसान हो सकता है।
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