बढ़ती गर्मी और लू की चपेट में आने से बचने के लिये यदि प्यास नहीं भी लगी हो, तो भी पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें। नींबू पानी, छाछ, लस्सी, जूस और ओआरएस का घोल शरीर को पानी की कमी से बचाये रखता है। तरबूज, खरबूजा, संतरा, अंगूर, अनानास, खीरा आदि अधिक पानी की मात्रा वाले फल और सब्जियाँ खाएँ। घर से निकलते वक्त पानी की बॉटल साथ रखें।
सीधी धूप से बचें
घर से बाहर निकलते वक्त अपने सिर को टोपी, दुपट्टे, छाता, गमछा या किसी अन्य कपड़े से ढँक कर ही निकलें, सीधी धूप में आने से बचें। अगर बाहर निकलना आवश्यक न हो, तो घर में ही रहें और अपने आवश्यक काम हो सके तो सुबह और शाम करें। टीवी, रेडियो, समाचार-पत्र आदि के माध्यम से तापमान पर नजर रखें।
घर में सीधे धूप आने से रोकें
घर के ऐसे दरवाजे और खिड़कियाँ, जो सीधे धूप के प्रभाव में रहते हैं, उन्हें बंद रखें या पर्दें ड़ालकर रखें। इन्हें रात में शुद्ध हवा के लिये खोलें।
इन्हें अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता
बच्चे, गर्भवती महिलाएँ, मानसिक रोगी, ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग आदि गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति अतिरिक्त सावधानी बरतें। सामान्यत: शरीर का तापमान 36.4 डिग्री सेल्सियस से 37.2 डिग्री सेल्सियस होता है। लू लगने पर तापमान में बढ़ोत्तरी, घमोरियाँ, हाथ-पाँव और टखनों में सूजन, बेहोशी, माँसपेशियों में ऐठन आदि हो सकती हैं। हीट स्ट्रोक ह्रदय, श्वसन और किडनी के मरीजों को पेरशानी में डाल सकता है।
अगर आप धूप से आएँ हैं और चक्कर, बेहोशी, जी मचलाना, उल्टी, सिरदर्द, तीव्र, प्यास और साँस-धड़कन तेज हो गई है, तो फौरन ठंडे स्थान पर पहुँचे और ठंडे पेय पदार्थ लेना शुरू कर दें। खाना बनाते समय दरवाजा और खिड़की खोलकर रखें। चाय, काफी, साफ्ट ड्रिंक और जिनमें अधिक मात्रा में शक्कर होती है ऐसे पेय पदार्थों का सेवन न करें। यह पदार्थ शरीर के जल को कम करते हैं और पेट में मरोड़ उत्पन्न करते हैं। बासी भोजन करने से बचें। अधिकतम पानी का सेवन सर्वोत्तम है। अगर एक घंटे से अधिक समस्या रहती है, तो चिकित्सकीय सलाह लें।