मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बिजली सबस्टेशन में आग लगने के कारण लंदन के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे पर बिजली चली गई थी जिसके बाद विमानों की आवाजाही एक दम बंद हो गई थी। वही, शुक्रवार देर रात लगभग 18 घंटे बाद हीथ्रो हवाई अड्डे पर पहला विमान उतरा। यह यूरोप का सबसे व्यस्त हवाई यात्रा केंद्र है। हीथ्रो द्वारा अपना बंद करने का आदेश वापस लेने के बाद ब्रिटिश एयरवेज का जेट सूर्यास्त से ठीक पहले उतरा, जिससे सैकड़ों हजारों यात्रियों की वैश्विक यात्रा बाधित हुई।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, फ्लाइट ट्रैकिंग सेवा फ्लाइटरडार 24 ने कहा कि हीथ्रो से आने-जाने वाली कम से कम 1,350 उड़ानें प्रभावित हुईं, और इसका असर कई दिनों तक रहने की संभावना है। यात्री अपनी यात्रा को पुनर्निर्धारित करने का प्रयास कर रहे हैं और एयरलाइंस विमान और चालक दल को फिर से तैनात करने का काम कर रही हैं। आयोवा (अमेरिका) से आए 21 वर्षीय बीयू महर ने कहा, शुरू में सब कुछ रोमांचकारी लगा लेकिन कुछ ही घंटों में यह बेहद कष्टदायी हो गया। ऐसे ही अन्य देशों में ठहराए गए यात्रियों को अब उनके गंतव्य तक पहुंचाना और उनके लिए आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करना मुश्किल हो रहा है। हीथ्रो और आसपास के शहरों के होटलों का एक दिन का किराया पांच गुना तक बढ़ गया है। हीथ्रो प्रबंधन ने यात्रियों से कहा गया है कि वे हवाई अड्डे पर न आएं और यात्रा कार्यक्रम के बारे संबंधित एयरलाइन कंपनी के संपर्क में रहें। हवाई अड्डा शुक्रवार मध्य रात्रि से पहले नहीं खुल सकेगा। शुक्रवार को हीथ्रो हवाई अड्डे से 1,351 उड़ानों को संचालित किया जाना था जिनमें 2,91,000 यात्रियों को सफर करना था। हीथ्रो के अचानक बंद होने से अन्य देशों से आने वाले तमाम विमानों को ब्रिटेन के अन्य शहरों में और पड़ोसी देशों के हवाई अड्डों पर उतारना पड़ा। जबकि लंबी दूरी वाली दर्जनों उड़ानों को बीच रास्ते से ही वापस उनके मूलस्थान पर भेज दिया गया। इस सारी कवायद में लाखों यात्रियों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा और एयरलाइन कंपनियों को लाखों करोड़ का चूना लगा है। एयरलाइन एक्सपर्ट बताते हैं कि इससे पहले 2010 में आइसलैंड में एक के बाद एक, कई ज्वालामुखी फटने की घटना से आसमान में धुंध छा गई थी और करीब एक लाख उड़ानों को रद करना पड़ा था। हीथ्रो से आवागमन ठप हो जाने से हवाई यातायात कारोबार को करोड़ों पाउंड (लाखों करोड़ रुपये) का नुकसान भुगतना पड़ सकता है। येएक्सपर्ट कहते हैं कि हीथ्रो जैसे बड़े हवाई अड्डे के प्रबंधन से उम्मीद की जाती है कि आपातस्थिति के लिए उसके पास पर्याप्त बिजली होगी लेकिन कुछ ही घंटे में सब ठप हो गया।
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