वाणिज्यिक कर विभाग ने बोगस व्यापारियों, अस्तित्वहीन फर्मों द्वारा की जा रही करोड़ों की टेक्स चोरी का पर्दाफाश कर 315 करोड़ का जीएसटी फर्जीवाड़ा पकड़ा है। फर्जी बिल जारी कर अन्य फर्मों को आईटीसी पासऑन करने वाले बोगस व्यवसायियों के विरूद्ध वाणिज्यिक कर विभाग अभियान चला रहा है। इसी तारतम्य में स्टेट जीएसटी एंटी ईवेजन ब्यूरो इंदौर-ए के अधिकारियों द्वारा डाटा एनालिसिस कर बोगस फर्मों कि सप्लाई चेन को उजागर किया गया, जो करोड़ों रूपए का बोगस टर्न ओवर कर रहे थे।
डाटा एनालिसिस के दौरान पाया गया कि कुछ फर्म नवीन पंजीयन लेकर कम समय में ही बड़ा टर्नओवर कर रही थी। आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स जीओ टेगिंग तथा व्यवसाय स्थलों के प्राथमिक परीक्षण के दौरान पाया गया कि व्यवसाय स्थलों पर किसी भी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियाँ संचालित होना नहीं पाई गई तथा माल वास्तविक रूप प्रदाय किये बिना ही फर्जी बिलों के आधार पर अन्य व्यवसाइयों को आईटीसी का लाभ दिया गया। इसके अतिरिक्त इनके पंजीयन में दर्शाये गए दस्तावेजों में भी विसंगतियाँ पाई गई। इनकी संदिग्ध सप्लाय चेन का विश्लेषण कर ठोस आधार ज्ञात होने पर वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा अस्तित्वहीन फर्मों पर कार्रवाई की गई है । इस छापे में लगभग 315 करोड़ रूपये के बोगस टर्नओवर का पर्दाफाश किया गया। इंदौर सहित नीमच में एक साथ कई फर्मों के ठिकानों पर कार्रवाई की गयी। छापे की कार्रवाई के दौरान कई फर्म बोगस पाई गयी, जो केवल कागजों पर संचालित हो रही थी। इनके द्वारा रिटर्न में डीओसी की 315 करोड़ की सप्लाई दर्शाकर लगभग 15 करोड़ रूपये का बोगस आईटीसी का लाभ अन्य फर्मों को दिया गया।
एंटी इवेजन ब्यूरो इंदौर-ए के संयुक्त आयुक्त श्री मनोज चौबे ने बताया कि विभाग की इस कार्यवाही से जहाँ एक ओर करोड़ों रूपए का बोगस टर्नओवर का पता लगा है वहीं दूसरी ओर इन बोगस फर्मों द्वारा भविष्य में फर्जी बिल जारी कर कर चोरी करने पर अंकुश भी लगेगा। सहायक आयुक्त श्री हरीश जैन ने बताया गया कि विभाग द्वारा डाटा एनालिसिस एवं हयूमन इंटेलीजेंस के आधार पर जिन अन्य फर्मों द्वारा इस प्रकार के फर्जी संव्यवहार किए जा रहे हैं, उन फर्मों पर भी कार्यवाही करने की तैयारी की जा रही है।