मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले के बाद इस्राइल ने अदालत की आलोचना की। इस्राइल ने फैसले को अपमानजनक बताया है। इस्राइल ने कसम खाई है कि देश की सुरक्षा के लिए जो भी आवश्यक है, वह किया जाएगा। बता दें, दक्षिण अफ्रीका ने गाजा में इस्राइल के हमलों को नरसंहार बताते हुए अदालत का रुख किया था। अफ्रीका ने अदालत से अनुरोध किया था कि जल्द से जल्द गाजा में जारी इस्राइली हमलों पर रोक लगाई जाए।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार को कहा कि हम अपने लोगों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे लोगों और देश की सुरक्षा के लिए जो भी आवश्यक कदम होंगे हम उठाएंगे। हर देश की तरह इस्राइल को भी अपनी अखंडता की रक्षा करने का बुनियादी अधिकार है। इस्राइल फलस्तीनियों के खिलाप नरसंहार कर रहा है, यह दावा सरासर गलत है। यह अपमानजनक है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, इधर, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका इन आरोपों से बेहद परेशान है कि यूएनआरडब्ल्यूए के बारह कर्मचारी सात अक्टूबर को इज़राइल पर हमले करने में शामिल हो सकते हैं। यूएनआरडब्ल्यूए के लिए अतिरिक्त फंडिंग को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो शुक्रवार को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ) ने कहा कि फलस्तीनी इलाके में हो रही मौत और नुकसान को कम करने के लिए इस्राइल को हरसंभव प्रयास करने चाहिए। याचिका में दक्षिण अफ्रीका ने कहा था कि 1948 में नरसंहार पर अंकुश के लिए संयुक्त राष्ट्र में समझौते (UN Genocide Convention) को स्वीकृति दी गई थी। इस्राइल ने इसका उल्लंघन किया है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, कोर्ट के आदेश से पहले सुनवाई के दौरान, अंतरराष्ट्रीय अदालत में दक्षिण अफ्रीका के वकील अदिला हासिम ने कहा था कि अदालत में पिछले 13 सप्ताह के सूबत पेश किए गए हैं। हासिम ने कहा कि गाजा के लोग पीड़ित है। गाजा के लोगों की पीड़ा को सिर्फ अदालत का आदेश ही रोक सकता है। सुनवाई के दौरान, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो के माध्यम से अपना पक्ष रखा था। उन्होंने कहा कि यह एक उल्टी दुनिया है। इस्राइल पर नरसंहार का आरोप लगाया है बल्कि इस्राइल तो नरसंहार से लड़ रहा है। दक्षिण अफ्रीका का पाखंड आसमान तक चिल्लाता है। इस्राइली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लियोर हयात ने ट्वीट कर कहा था कि दक्षिण अफ्रीका द्वारा अदालत में पेश किया गया मामला सबसे बड़ा पाखंड है। अदालत में उनकी कानूनी टीम हमास प्रतिनिधि के रूप में काम कर रही है। दक्षिण अफ्रीका के दावे निराधार और झूठे हैं।
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