मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को कहा कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों का ज्ञान आज की रणनीति की जरूरतों के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय ग्रंथ ज्ञान के भंडार है। ‘कलम और कवच’ रक्षा साहित्य महोत्सव को संबोधित करते हुए रामायण, महाभारत जैसे बड़े महाकाव्यों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि उनका प्राचीन ज्ञान आज की रणनीतिक जरूरतों के लिए प्रासंगिक है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ‘न्यायसंगत युद्ध की अवधारणा’ भारत में पौराणिक काल से मौजूद थी। जबकि माना जाता है कि चौथी शताब्दी ईस्वी में सेंट ऑगस्टीन द्वारा रखी गई थी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि रामायण में यह साफ दिखाई देता है कि लंका पर विजय होने के बाद वो लंका की जिम्मेदारी पूरी तरह से विभीषण को दे देते हैं और वह अपने राज्य अयोध्या में लौट आते हैं।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, ‘महाभारत’ का जिक्र करते हुए अनिल चौहान ने कहा कि पांडवों ने लाक्षागृह में हत्या के प्रयास सहन किया, पांडवों ने अपने राज्य का विभाजन देखा, महिला का अपमान देखा। इन कारणों ने उन्हें युद्ध में जाने के लिए उचित ठहराया है। वहीं संबोधित करते हुए सीडीएस ने कहा कि सशस्त्र बलों की दुनिया एक बड़े बदलाव के कगार पर है और इसे सैन्य मामलों की तीसरी क्रांति करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत उन्नत देशों की बराबरी करने का एकमात्र तरीका उनके साथ तीसरे आरएमए में प्रवेश करने का प्रयास करना है और इसके लिए बहुत अधिक कल्पना के साथ-साथ नवीन और आविष्कारशील दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी।
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