मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को निजी क्षेत्र के निवेश में तेजी तथा मुद्रास्फीति में नरमी के साथ अगले वित्त वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था का आर्थिक परिदृश्य सकारात्मक दिख रहा है। मासिक आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि जनवरी 2025 से ब्लूमबर्ग बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड को शामिल करने से प्रवाह को बढ़ावा मिलना चाहिए। इसमें कहा गया है कि उपभोग में लगातार वृद्धि के बीच मजबूत निवेश गतिविधि से विकास को गति मिल रही है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से की गई समीक्षा के फरवरी संस्करण में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश पर निरंतर ध्यान देने से निजी निवेश में भी बहुत निवेश आया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 7.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, भारत ने लगातार तीन तिमाहियों में 8 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की और सुस्त वैश्विक वृद्धि के रुख के बीच असाधारण प्रदर्शनकर्ता के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि की है। मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न एजेंसियां वित्त वर्ष 2024 के भारत के विकास अनुमानों को संशोधित करते हुए 8 प्रतिशत के करीब एक समान वृद्धि दर के अनुमान का समर्थन कर रही हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, समीक्षा में कहा गया है, “कुल मिलाकर भारत वित्त वर्ष 2025 की शुरुआत में सकारात्मक दिख रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में आवासीय संपत्तियों की मांग बढ़ना निर्माण गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए अच्छा संकेत है।” गैर-कृषि रोजगार पुनर्जीवित हो गया है, जिससे कृषि छोड़ने वाले श्रमिकों को अवशोषित करने की क्षमता में सुधार हुआ है। इसमें कहा गया है, ”विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार बढ़ने से यह गुणवत्तापूर्ण रोजगार पैदा करने के उत्प्रेरक के रूप में उभरा है।”
मीडिया सूत्रों के अनुसार, मासिक समीक्षा के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के संकेत और व्यापार के लिए वैश्विक आपूर्ति शृंखला की बाधाओं जैसी विपरीत परिस्थितियां हैं। फिर भी, भारत कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2025 के लिए एक उज्ज्वल दृष्टिकोण की उम्मीद करता है। समीक्षा में कहा गया है कि आगामी महीनों के लिए भारत का मुद्रास्फीति दृष्टिकोण सकारात्मक है। कोर मुद्रास्फीति नीचे की ओर जा रही है, मूल्य दबावों में व्यापक नरमी का संकेत देती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मियों में बुआई में तेजी आने से खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी आने की संभावना है।
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