मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नागालैंड सरकार ने रविवार को कहा कि राज्य के 78 गांव अब टीबी मुक्त हैं। आधिकारिक सूचना के अनुसार इन स्थानों में फेक जिले के 34 गांव, लोंगलेंग के 19, वोखा के नौ, मोकोकचुंग के चार और कोहिमा के तीन गांव शामिल हैं। यह घोषणा रविवार को विश्व क्षय रोग (TB) दिवस के अवसर पर की गई।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, प्रदेश सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम टीम ने सर्वेक्षण किया और पाया कि ये गांव टीबी मुक्त हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नागालैंड में 2023 में 4,284 सक्रिय टीबी के मामले थे।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, गौरतलब है कि जब डॉ रॉबर्ट कोच ने 1882 में घोषणा की थी कि उन्होंने उस जीवाणु की खोज की है जो टीबी का कारण बनता है, जिससे निदान और इलाज का मार्ग प्रशस्त हुआ। उसी दिन के बाद से विश्व क्षय रोग दिवस 24 मार्च को मनाया जाता है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के मुताबिक एसडीजी 2030 लक्ष्य से पांच साल पहले देश से क्षय रोग का उन्मूलन करने संबंधी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के स्पष्ट आह्वान के साथ रविवार को 71,000 से अधिक निक्षय मित्र आगे आए हैं। ये सभी टीबी का उन्मूलन करने संबंधी केंद्र सरकार की निक्षय योजना के तहत पोषण संबंधी सहायता और अन्य माध्यमों से 10 लाख से अधिक टीबी रोगियों की सहायता कर रहे हैं।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि निक्षय मित्र टीबी रोगियों को केवल वित्तीय और पोषण संबंधी सहायता ही प्रदान नहीं करते, बल्कि निक्षय मित्र पोर्टल पर उनके साथ निजी रूप से जुड़कर उनकी समग्र भलाई भी सुनिश्चित करते हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया ‘भारत का अपना स्वास्थ्य सेवा मॉडल साझा सामाजिक और राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों से युक्त है। अन्य हितधारकों के सहयोग का लाभ उठा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की सहायता करने में बहु-क्षेत्रीय संपर्क एक प्रमुख स्तंभ है। केवल अपने साझा प्रयासों और सहयोग से ही हम 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, इधर, त्रिपुरा के राज्यपाल नल्लू इंद्रसेना रेड्डी का कहना है कि टीबी (तपेदिक) रोग को खत्म किया जा सकता है, लेकिन मरीज यह स्वीकार करने से डरते हैं कि वे टीबी से पीड़ित हैं। उन्हें डर है कि समाज उनका बहिष्कार करेगा। मरीजों को दवाएं लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें ठीक किया जा सकता है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व क्षय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर अपना संदेश जारी किया था। उन्होंने कहा, ‘यह दिवस हमें टीबी की शीघ्र पहचान, उपचार और रोकथाम के महत्व की याद भी दिलाता है। मैं सभी से भारत को क्षय-मुक्त बनाने के लिए मिलकर काम करने और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयास करने का आग्रह करती हूं।’
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