मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सिंगापुर की भारतीय मूल की मंत्री ने कहा है कि सिंगापुर में बच्चों को तमिल भाषा की अहमियत बताई जानी चाहिए ताकि वह अपनी मातृ भाषा के तौर पर तमिल भाषा को चुन सकें। सिंगापुर के प्रधानमंत्री कार्यालय की मंत्री इंद्राणी राजा ने ये बात कही। सिंगापुर की शिक्षा व्यवस्था में ऐसा प्रावधान है, जिसमें मातृ भाषा का दूसरी भाषा के रूप में चुनाव किया जा सकता है। जिनमें हिंदी, उर्दू, पंजाबी और अन्य भारतीय भाषाएं जैसे तमिल, मलय के साथ ही चाइनीज भी शामिल है।
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, एक कार्यक्रम में इंद्राणी राजा ने कहा कि ‘हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे बच्चे तमिल भाषा सीखें। तमिल भाषा सभी तमिल लोगों को जोड़ने के लिए पासपोर्ट की तरह काम करेगी।’ राजा ने कहा कि ‘भाषा को जीवंत तौर पर सीखना चाहिए। ये सिर्फ पढ़ाई के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए। फिर चाहे ये टीवी के माध्यम से हो, सोशल मीडिया के माध्यम से या फिर प्रिंट माध्यम से। जितना युवा इस भाषा को सुनेंगे, बोलेंगे और इसका इस्तेमाल करेंगे, उतना ही हम इस भाषा को जीवित रख सकेंगे।’
जानकारी के लिए बता दे, सिंगापुर में तमिल भाषा को समृद्ध रखने के लिए तमिल लैंग्वेज काउंसिल बीते 18 वर्षों से तमिल लैंग्वेज फेस्टिवल का आयोजन करती है। इस साल 30 मार्च से 28 अप्रैल तक इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। शनिवार को इस आयोजन में भारतीय मूल की मंत्री इंद्राणी राजा भी शामिल हुईं। इसी दौरान उन्होंने तमिल भाषा को लेकर अपनी बात रखी। राजा पहले भी कह चुकी हैं कि युवाओं को अपनी मातृ भाषा से जुड़े रहना चाहिए और इसकी वजह से वे अपनी संस्कृति और विरासत से जुड़े रह सकते हैं। इंद्राणी राजा के पिता भी तमिल मूल के हैं।
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