केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, “मैं मानता हूं कि ये सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट भाजपा के हर कार्यकर्ता के लिए गौरव का विषय है कि आज जो झूठे आरोप हमारे सर्वोच्च नेतृत्व पर लगाए गए थे वो सभी खारिज हो गए हैं। पार्टी के लिए ये फैसला बहुत significant है, राजनीतिक रूप से कम है, परंतु जिस प्रकार से मेरी पार्टी के सर्वोच्च नेता को victimize करने का प्रयास किया गया। आज कोर्ट ने उसकी धज्जियां उड़ा दी हैं। मोदी जी से भी पूछताछ हुई थी लेकिन तब किसी ने धरना-प्रदर्शन नहीं किया था। मेरी भी गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ। जिन लोगों ने मोदी जी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें मोदी जी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए। मोदी जी को बहुत सारी बदनामी झेलते हुए मैंने देखा है। मोदी जी पर निर्लज्जता के साथ झूठे आरोप मढ़ते हुए मैंने देखा है। इसके बावजूद भी कानूनी प्रक्रिया है, इसके ऊपर कुछ नहीं करना है। ये बोल्ड स्टैंड लेते हुए मैंने उन्हें देखा है।”
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी। NGO ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है। सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई UPA की सरकार ने NGO की बहुत मदद की है। मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे.. बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है।”
उन्होंने आगे कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है और आरोप क्यों लगाए गए, इसके विषय में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। एक प्रकार से ये आरोप राजनीति से प्रेरित है, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने ये भी सिद्ध कर दिया है। 18-19 साल की लड़ाई देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर, सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर, सहन करके लड़ता रहा और आज जब सत्य सोने की तरह चमकता हुआ बाहर आया है, तो आनंद ही होगा। सार्वजनिक जीवन में नरेन्द्र मोदी जी ने एक ऐसा उदाहरण सेट किया है कि आरोप कितना भी झूठा हो, उसको न्याय की अदालत ही तय कर सकती है कि ये सच है या झूठ। तब तक धैर्य रखना चाहिए।”
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