Congress: कांग्रेस अध्यक्ष ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी, सैनिक स्कूलों के निजीकरण के कदम वापस लेने की अपील की

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Congress: कांग्रेस अध्यक्ष ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी, सैनिक स्कूलों के निजीकरण के कदम वापस लेने की अपील की
(कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे) Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखकर सैनिक स्कूलों के निजीकरण संबंधी कदम को वापस लेने और इस नीति को रद्द करने की अपील की। उन्होंने दावा किया कि सशस्त्र बलों और उससे जुड़ी संस्थाओं को हमेशा राजनीतिक विचारधाराओं की छाया से दूर रखा गया, लेकिन अब इसके उलट कोशिशें हो रही हैं।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, खरगे ने चिट्ठी में कहा, ‘‘आप जानती हैं कि भारतीय लोकतंत्र ने पारंपरिक रूप से हमारे सशस्त्र बलों को किसी भी दलगत राजनीति से दूर रखा है। अतीत में सरकारों ने सशस्त्र बलों और उसके सहयोगी संस्थानों को विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं की छाया से दूर रखा।’’

मीडिया में आई खबर के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘‘आप इस वृहद तौर पर स्वीकारे गए तथ्य की सराहना करेंगी कि यह जानबूझकर किया गया बंटवारा लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप था और अंतरराष्ट्रीय अनुभवों पर आधारित था। इसने वास्तव में हमारे लोकतंत्र को मजबूती से फलने-फूलने दिया, भले ही दुनिया भर में शासन व्यवस्थाएं सैन्य हस्तक्षेप, लोकतंत्र को नष्ट करने और मार्शल लॉ का शिकार हुईं।’’

मीडिया सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मैं आपके ध्यान में एक आरटीआई पर मिले जवाब पर आधारित रिपोर्ट को लाना चाहता हूं, जिसमें बताया गया है कि सरकार द्वारा शुरू किए गए नए पीपीपी मॉडल का उपयोग करके सैनिक स्कूलों का निजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ”अब इनमें से 62 फीसदी स्कूलों को लेकर बताया जाता है कि उनका स्वामित्व भाजपा-आरएसएस नेताओं के पास है।’’

मीडिया में आई खबर के अनुसार, खरगे ने आरटीआई के हवाले से कहा कि देश में 33 सैनिक स्कूल हैं तथा ये पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित संस्थान थे, जो रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के तहत एक स्वायत्त निकाय, सैनिक स्कूल सोसाइटी (एसएसएस) के अंतर्गत संचालित थे। उन्होंने दावा किया, ‘‘रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जिन 40 एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए, उनमें से 62 फीसदी आरएसएस-भाजपा-संघ परिवार से संबंधित व्यक्तियों और संगठनों के साथ हस्ताक्षरित किए गए हैं। इसमें एक मुख्यमंत्री का परिवार, कई विधायक, भाजपा पदाधिकारी और आरएसएस नेता शामिल हैं।’’

मीडिया सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी राजनीतिक दल ने कभी ऐसा नहीं किया, क्योंकि हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और साहस को दलगत राजनीति से दूर रखने के लिए आम राष्ट्रीय सहमति है।’’ उन्होंने राष्ट्रपति से अपील की कि राष्ट्रीय हित में इस निजीकरण नीति को पूरी तरह से वापस लिया जाए और रद्द किया जाए ताकि सशस्त्र बल स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे राष्ट्र की सेवा के लिए आवश्यक वांछित चरित्र, दृष्टि और सम्मान बरकरार रख सकें।

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