मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान की जेल में भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की हत्या करने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन अमीर सरफराज की हत्या कर दी गई है। लाहौर में अज्ञात लोगों ने उसे गोलियों से भून डाला। बता दें कि उसने भारतीय नागरिक सरबजीत की ईंटों और लोहे की छड़ों से हमला कर हत्या कर दी थी। उसने आईएसआई के इशारे पर सरबजीत को मौत के घाट उतारा था।
सूत्रों के मुताबिक, सरबजीत की हत्या के आरोपी और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद के करीबी सहयोगी अमीर सरफराज तांबा पर इस्लामपुरा इलाके में मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने हमला किया। उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। तांबा के परिवार के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया कि दो लोग मोटरसाइकिल पर उनके घर आए और ऊपरी मंजिल पर खड़े तांबा को गोली मार दी।
मीडिया की माने तो रिपोर्ट में कहा गया कि तांबा के शरीर पर चार गोलियों लगीं। दो गोलिया तांबा की छाती और दो पैरों में लगीं। हमला करने वाले एक बंदूकधारी ने हेलमेट पहन रखा था तो दूसरे ने चेहरे पर नकाब डाल रखा था। दोनों गोली चलाने के बाद घटनास्थल से भाग गए। सूत्रों की मानें तो तांबा कारावास के दौरान जेल के अंदर मोबाइल फोन सहित सभी सुविधाओं का आनंद लेता था।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सरफराज जावेद का बेटा तांबा का जन्म 1979 में लाहौर में हुआ था। वह लश्कर संस्थापक का करीबी सहयोगी था। कहा जाता है कि हाफिज ने सरबजीत सिंह की हत्या के लिए तांबा को सम्मानित भी किया था। ‘लाहौर का असली डॉन’ के नाम से कुख्यात तांबा ‘ट्रकेनवाला गिरोह’ का हिस्सा था। वह संपत्ति व्यापार और मादक पदार्थों की तस्करी का काम करता था। वह हाल ही में गिरोह के एक सदस्य अमीर बालाज टीपू के साथ झड़प में शामिल था। टीपू लाहौर में एक शादी के रिसेप्शन के दौरान मारा गया था।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, दरअसल, भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत 2 मई 2013 को हुई थी। साल 1991 में पाकिस्तान की कोर्ट ने सरबजीत सिंह को लाहौर और फैसलाबाद में हुए चार बम धमाकों के आरोप में सजा सुनाई थी। इन धमाकों में करीब 10 लोगों की मौत हुई थी। मार्च 2006 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की दया याचिका खारिज करते हुए उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। इसके बाद लाहौर की सेंट्रल जेल में कुछ कैदियों ने सरबजीत पर हमला कर दिया था और पांच दिन बाद अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया था।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, सरबजीत सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव के रहने वाले थे। वे किसान थे। 30 अगस्त 1990 को वह अनजाने में पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गए थे, जहां से उन्हें पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। उस समय सरबजीत ने तर्क दिया था कि वह गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे।
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