मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तमिलनाडु में गर्मी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि लोगों के लिए पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। राज्य के कई हिस्सों में लू के कारण मुख्यमंत्री ने शनिवार को राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि गर्मी अपने साथ दो परेशानी लाती है, पहली- अत्यधिक गर्मी और दूसरी- पीने के पानी की बढ़ती मांग।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बैठक में मुख्य सचिव और अन्य विभागों के सचिवों ने मुख्यमंत्री को पेयजल की कमी के कारण के बारे में बताया। इसके अलावा, मौसम विभाग की मानें तो दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान एक या दो महीने बारिश की मात्रा अपेक्षाकृत कम रह सकती है। बैठक में सीएम स्टालिन ने कहा कि हम लोग फिलहाल कठिन स्थिति में हैं। हमें पानी का संयम से उपयोग करना होगा। अगले दो महीनों के लिए पीने की पानी की मांग बढ़ेगी। हमें पानी की आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। सीएम ने सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पेयजल समस्या से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करें और स्थिति का जायजा कर समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाए। बता दें, राज्य के 22 जिले पहले ही सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया है। जल आपूर्ति कार्यों के लिए राज्य आपदा कोष से 150 करोड़ रुपये तय किए गए हैं।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, सीएम ने अधिकारियों से कहा कि उन्हें संयुक्त पेयजल योजनाओं के कामकाज की निगरानी करनी चाहिए। अधिकारी लोगों से मिले और समस्याओं का तुरंत समाधान करें। उन्होंने कहा कि जहां बोरवेल सूख गए हैं, वहां टैंकरों से पेयजल उपलब्ध कराएं। गर्मी में पानी की मांग अधिक होती है लेकिन पानी की उपलब्धता कम होती है, इसलिए जनहित में एकजुट होकर प्रयास करें। गौरतलब है कि पिछले पूर्वोत्तर मानसून के दौरान तमिलनाडु के तटीय इलाकों में भारी बारिश हुई, जिससे इलाके में बाढ़ आ गई। बावजूद इसके तमिलनाडु के पश्चिमी जिलों में कम बारिश हुई।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, इससे पहले, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने बताया था कि गर्मियां शुरू होने के साथ ही देश में जल संकट गहराना शुरू हो गया है। दक्षिण भारत में स्थिति ज्यादा खराब है। दक्षिण भारत के राज्य गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं और स्थिति ये है कि जल भंडारण जलाशयों की क्षमता घटकर केवल 17 प्रतिशत रह गई है। दक्षिण भारत के राज्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु आते हैं। सीडब्ल्यूसी द्वारा भारत के विभिन्न क्षेत्रों के जलाशयों के भंडारण स्तर के संबंध में बृहस्पतिवार को जारी बुलेटिन में बताया गया कि दक्षिणी क्षेत्र में आयोग की निगरानी के तहत 42 जलाशय हैं जिनकी कुल भंडारण क्षमता 53.334 बीसीएम (अरब घन मीटर) है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इन जलाशयों में मौजूदा कुल भंडारण 8.865 बीसीएम है, जो उनकी कुल क्षमता का केवल 17 प्रतिशत ही है।
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