मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत अंटार्कटिका में एक नया अनुसंधान स्टेशन मैत्री-2 बनाने जा रहा है। औपचारिक तौर पर इस योजना के बारे में शासकीय निकाय अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री बैठक (एटीसीएम) की 46वीं बैठक में बताया जाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन के मुताबिक, इस साल, हम एटीसीएम को सूचित करने जा रहे हैं कि हम अपने अनुसंधान स्टेशन मैत्री के पुनरुद्धार की योजना बना रहे हैं। पुनरुद्धार का मतलब है, मैत्री बहुत पुराना है, हमें फिर से निर्माण करना होगा।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दरअसल, इस महीने के आखिर में कोच्चि में एटीसीएम की 46वीं सालाना और पर्यावरण संरक्षण समिति की 26वीं बैठक 20-30 मई को होगी। भारत ने 46वें एटीसीएम के अध्यक्ष के तौर पर वरिष्ठ राजनयिक और पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पंकज सरन का नाम प्रस्तावित किया है। इस वर्ष लुलु बोल्गट्टी इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशनिक रिसर्च (एनसीपीओआर) की आयोजित एटीसीएम और सीईपी बैठकों में 60 से अधिक देशों के 350 से अधिक प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है। इस मौके पर दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में अनुसंधान में लगे देश अपनी वैज्ञानिक गतिविधियों के परिणाम और भविष्य की योजनाएं साझा करेंगे।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, अंटार्कटिका में भारत के दो सक्रिय अनुसंधान केंद्र मैत्री और भारती हैं। यहां देश का पहला अनुसंधान केंद्र दक्षिण गंगोत्री 1983 में स्थापित किया गया था, लेकिन यह बर्फ में डूब गया। अंटार्कटिका में लगभग 35 साल पहले स्थापित किया गया मैत्री वैज्ञानिक समुदाय के बीच एक गांव कहा जाता है। वहीं, 12 साल पहले स्थापित किया गया भारती एक अत्याधुनिक सुविधायुक्त अनुसंधान केंद्र है। इसमें बगैर बड़े स्टाफ के एक लग्जरी होटल की सभी सुविधाएं हैं। मैत्री-2 अनुसंधान स्टेशन बन जाने के बाद इसे एक स्मारक का नाम दें ग्रीष्मकालीन शिविर में बदला जाएगा।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, इसके अलावा एटीसीएम के एजेंडे में अंटार्कटिका में पर्यटन को नियमित करने की योजना है। एटीसीएम एजेंडा की प्रमुख बातों में अंटार्कटिका और उसके संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के लिए रणनीतिक योजना बनाना शामिल है। इस योजना में नीति, कानूनी और संस्थागत संचालन, जैव विविधता खोज, सूचना और डेटा का निरीक्षण और आदान-प्रदान, अनुसंधान, सहयोग, क्षमता निर्माण और सहयोग, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, पर्यटन ढांचे का विकास और जागरूकता को बढ़ावा दिया शामिल है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह पृथ्वी का अकेला महाद्वीप है जो बगैर किसी स्वदेशी आबादी के अंटार्कटिक संधि प्रणाली (एटीएस) से शासित होता है। इस संधि पर 1961 में हस्ताक्षर किए गए थे। इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ अंटार्कटिका टूर ऑपरेटर्स (आईएएटीओ) ने 2022-23 सीज़न के लिए 32,730 क्रूज़, 71,346 लैंडिंग और 821 गहरे क्षेत्र में जाने वाले मेहमानों के यहां आने की सूचना दी। उन्होंने कहा, परेशानी यह है कि अंटार्कटिका में पर्यटन को ठीक से नियमित नहीं किया गया है, इसलिए इस साल इसके नियमन पर चर्चा हो रही है। अंटार्कटिका में पर्यटन पर आखिरी बड़ा फैसला 2009 में लिया गया। इसके तहत 500 से अधिक यात्रियों को ले जाने वाले क्रूज जहाजों को अंटार्कटिका में उतरने से रोक दिया था।
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