मीडिया सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्राचीन रामचरितमानस की पांडुलिपियां, 15वीं सदी की पंचतंत्र दंतकथाओं समेत एशिया-प्रशांत की 20 धरोहरों को 2024 के लिए यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रीजनल रजिस्टर में दर्ज किया गया है। अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि यह निर्णय एशिया और प्रशांत के लिए विश्व समिति की स्मृति (एमओडब्ल्यूसीएपी) की 10वीं आम बैठक में लिया गया। बैठक 7 व 8 मई के दौरान मंगोलिया की राजधानी उलानबटार में बुलाई गई थी। बैठक की मेजबानी मंगोलिया के संस्कृति मंत्रालय, यूनेस्को के लिए मंगोलियाई राष्ट्रीय आयोग और बैंकॉक में यूनेस्को क्षेत्रीय कार्यालय ने की थी।
जानकारी के लिए बता दें कि, अधिकारियों ने कहा, इस वर्ष रिकॉर्ड में वंशावली रिकॉर्ड को विशेष रूप से शामिल किया गया है। इनमें मंगोलिया के खलखा मंगोलों का परिवार एवं उनकी वंशावली, चंगेज खान का घर शामिल है। इसके अलावा चीन में हुइझोउ और मलेशिया में केदाह राज्य के समुदाय, पारिवारिक इतिहास को भी शामिल किया गया है। इस वर्ष के अंकित रिकार्डों में विज्ञान और साहित्य को भी स्थान दिया गया है। इसमें बांग्लादेश की विज्ञान कथाओं की नारीवादी लेखिका रोकेया एस हुसैन को भी मान्यता दी गई। उन्होंने 1905 की अपनी कहानियों सुल्तनाज ड्रीम में आविष्कार किए जाने से पहले ही हेलिकॉप्टर और सौर पैनल दोनों की कल्पना कर ली थी।
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