मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों मे दवा नियामकों को निर्देश दिया है कि वह उन रोगियों के उपचार के लिए एस्ट्राजेनेका की कैंसर-रोधी दवा ओलापारिब टैबलेट को वापस लें, जिन्हें तीन या उससे अधिक बार कीमोथेरेपी दी जा चुकी है। राज्य नियामकों को दावा के निर्माताओं को प्रतिकूल प्रभावों की संभावना को देखते हुए जीबीआरसीए म्यूटेशन और अंडाशयी कैंसर और स्तन कैंसर वाले रोगियों के इलाज के लिए दवा के विपणन (मार्केटिंग) को बंद करने को कहा गया है। शीर्ष दवा नियामक ने कहा कि अन्य अनुमोदित संकेतों के लिए दवा का विपणन जारी रखा जा सकता है। डीसीजीआई ने 16 मई को नियामकों को पत्र भेजा। जिसमें कहा गया कि कंपनी एस्ट्रेजेनेका फार्मा इंडिया लिमिटेड ने उन जीबीआरसीए म्यूटेशन और अंडाशयी कैंसर वाले रोगियों के इलाज में ओलापारिब टैबलेट 100 मिलीग्राम और 150 मिलीग्राम के संकेतों को वापस लेने के लिए उनके पास एक आवेदन भेजा है, जिनका इलाज तीन या उससे अधिक बार पहले कीमोथेरेपी से किया गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि,पत्र में कहा गया है, सीडीसीएसओ में 19 और 20 मार्च 2024 को आयोजित बैठक में में एसईसी (ऑन्कोलॉजी) विशेषज्ञों के परामर्श से मामले की समीक्षा की गई है। कंपनी ने ओलापारिब टैबलेट के संकेत को वापस लेने के लिए नैदानिक (क्लिनिकल) साक्ष्य पेश किए। इन परिस्थितियों के मद्देनजर आपसे अनुरोध है कि आप अपने क्षेत्र में इस दवा के सभी निर्माताओं को निर्देश दें कि वे ओलापारिब टैबलेट (100 मिलीग्राम और 150 मिलीग्राम) के विपणन को वापस ले लें। उन अन्य संकेतों के लिए दवा का विपणन जारी रखा जा सकता है, जिन्हें मंजूरी मिली है।
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