मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नेपाल सरकार ने 11 देशों से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं। इनमें भारत और अमेरिका में ‘नेपाली कांग्रेस’ कोटे के तहत तैनात राजदूत भी शामिल हैं। ये फैसला नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने पार्टी से गठबंधन तोड़ने और केपी शर्मा ओली से हाथ मिलाने के तीन महीने बाद लिया है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, द काठमांडू पोस्ट अखबार के मुताबिक उप प्रधानमंत्री और विदेश मामलों के मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ की आपत्तियों के बावजूद, नेपाल सरकार ने गुरुवार को राजदूतों को वापस बुला लिया। इनमें भारत में तैनात नेपाल के राजदूत शंकर शर्मा भी शामिल हैं।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, नेपाल सरकार ने यह कदम नेपाली प्रधानमंत्री प्रचंड की रविवार को भारत की संभावित यात्रा से पहले उठाया है। जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने भारत आ सकते हैं।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्रालय के कई अधिकारियों ने अखबार को बताया कि सरकार का यह कदम बहुत से देशों को गैर-राजनयिक संदेश दे रहा है। नेपाल के एक मंत्री ने अखबार को बताया कि विदेश मंत्री श्रेष्ठ नेपाली कांग्रेस और अन्य दलों के कोटे से नियुक्त राजदूतों को वापस बुलाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री दहल और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली ने मनमनाने तरीके से राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, वापस बुलाए गए राजदूतों में शंकर शर्मा (भारत), श्रीधर खत्री (अमेरिका), ज्ञान चंद्र आचार्य (यूनाइटेड किंगडम) और ज्योति पयाकुरेल भंडारी (दक्षिण कोरिया) के नाम शामिल हैं। इन्हें नेपाली कांग्रेस के कोटा के तहत तब नियुक्त किया गया था, जब पार्टी अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने 2021 में सरकार का नेतृत्व किया था।
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