मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस्राइल और हमास के बीच लंबे समय से युद्ध जारी है। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। इस्राइल के युद्ध कैबिनेट मंत्री बेनी गैंट्ज ने रविवार को आपातकालीन सरकार से अपना इस्तीफा दे दिया। गैंट्ज ने रविवार को एक चैनल में कहा कि नेतन्याहू हमें सच्ची जीत की ओर बढ़ने से रोक रहे हैं। इसलिए मैं आज आपातकालीन सरकार से इस्तीफा देता हूं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गैंट्ज ने इसके अलावा, देश में जल्द चुनाव कराने का आह्लान किया। उन्होंने कहा कि देश में ऐसे चुनाव होने चाहिए, जिससे एक मजबूत सरकार स्थापित हो सके। ऐसी सरकार देश में होनी चाहिए, जो चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम हो। उन्होंने आगे कहा कि मैं प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से आग्रह करता हूं कि आप आम सहमति से चुनाव की एक तारीख निर्धारित करें। देश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर उन्होंने कहा कि विरोध महत्वपूर्ण है पर नफरत को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। कानून के हिसाब से चीजें होनी चाहिए। हमें यह समझना होगा कि हम एक-दूसरे के दुश्मन नहीं है। हमारे दुश्मन हमारी सीमाओं के बाहर हैं।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, एक दिन पहले, इस्राइली सेना ने हमास के कब्जे से चार इस्राइली नागरिकों को रिहा कराया। इस पर इस्राइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने अपनी खुशी जताई थी। उन्होंने कहा था कि हमें नोआ अर्गामानी, अल्मोग मीर, एंड्री कोजलोव और श्लोमी जिव की आजादी की जानकारी मिली है। चारों महीनों बाद हमास की कैद से छूटे हैं। यह बहुत ही मार्मिक खबर है। सात अक्तूबर के बाद से एक बार फिर वे अपने परिवार के पास जा सके। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इस्राइलियों को अब भी आशा है। इस्राइल अब भी जिंदा है। हर्जोग ने कहा कि इस्राइल के सभी लोगों की ओर से मैं आईडीएफ, शिन बेट, इस्राइल पुलिस और इस्राइल रक्षा बलों को एक प्रभावशाली और साहसी बचाव अभियान के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं लोगों के शीघ्र वापसी की कामना करता हूं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइली सेना ने शनिवार को बंधकों को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया। इस दौरान इस्राइली सेना ने नुसेरत इलाके में छापेमारी अभियान चलाकर दो जगहों से चार बंधकों को रिहा करा लिया। इस्राइली सेना ने बताया कि चारों बंधक ठीक हैं और स्वास्थ्य जांच के बाद उन्हें उनके परिजनों के पास भेज दिया जाएगा। वहीं इस्राइली सेना के अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई और कम से कम 94 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में बच्चे भी शामिल हैं।
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