मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन का असर अब दिखने लगा है। जहां भारत में इस समय जबरदस्त गर्मी के रिकॉर्ड दर्ज किए जा रहे हैं, वहीं यूरोप और अमेरिका भी तापमान नए स्तरों तक पहुंच रहा है। अमेरिका में तो गर्मी इतनी तेज है कि यहां 7.5 करोड़ लोगों के लिए स्वास्थ्य अलर्ट तक जारी किया गया है। बताया गया है कि गर्म लहरों के मध्य-अटलांटिक और न्यू इंग्लैंड तक पहुंचने की वजह से बीते कुछ दिनों में अमेरिका में तापमान में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा आद्रता के बढ़ने से स्थिति और खराब हुई है। गौरतलब है कि बीते साल भी अमेरिका में भीषण गर्मी का प्रकोप देखा गया था। यहां असामान्य रूप से लगातार दो दिन तक गर्म मौसम दर्ज किया गया था, जो कि 1936 के बाद से नया रिकॉर्ड था। इसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका के फीनिक्स शहर में देखा गया था, जहां गर्मी से जुड़ी वजहों से 645 लोगों की मौत हुई थी। फीनिक्स में ही एक बार फिर तापमान 44 डिग्री सेल्सियस (112 डिग्री फारहेनहाइट) तक पहुंच गया है। ऐसे में अधिकारियों ने पिछली बार की स्थिति को देखते हुए इस बार स्वास्थ्य अलर्ट जारी किया है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अमेरिका के मौसम विभाग ने कहा है कि जून के पहले दो हफ्ते में तापमान सामान्य से 5.6 डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया है। यह जून की शुरुआत में सबसे ज्यादा गर्मी का रिकॉर्ड भी है। राष्ट्रीय मौसम सेवा के एक वैज्ञानिक ने इस स्थिति को लेकर अलर्ट जारी करते हुए लोगों से सुबह 10 बजे से 6 बजे तक घर के अंदर ही रहने को कहा है। साथ ही उन्हें लगातार पानी पीते रहने और टाइट कपड़ें पहनने से बचने के लिए भी कहा गया है। दूसरी तरफ न्यू मैक्सिको के कई इलाकों में तापमान 107 डिग्री फारहेनहाइट यानी 42 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया। वहीं दक्षिणी कोलाराडो में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो कि सामान्य से ज्यादा रहा। इस बढ़ती गर्मी के चलते अमेरिका में बड़े स्तर पर जंगलों की आग भी भड़क उठी है। लॉस एंजेलिस के पूर्व में लगी आग के चलते दमकलकर्मी लगातार इस बुझाने की कोशिश में लगे हैं।
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