मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने 1994 के इसरो जासूसी मामले में अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने के सिलसिले में एक अदालत में पांच व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। हालांकि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 2021 में दर्ज मामले में किसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। बता दें कि केरल पुलिस ने अक्टूबर 1994 में दो मामले दर्ज किए थे। इस दौरान पुलिस ने मालदीव के नागरिक रशीदा को तिरुवनंतपुरम में गिरफ्तार किया था। रशीदा पर पाकिस्तान को बेचने के लिए इसरो रॉकेट इंजन के गुप्त चित्र प्राप्त करने का आरोप था। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में क्रायोजेनिक परियोजना के तत्कालीन निदेशक नारायणन को तत्कालीन इसरो उप निदेशक डी शशिकुमारन और रशीदा की मालदीव की दोस्त फौसिया हसन के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सीबीआई जांच में आरोप झूठे पाए गए थे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शीर्ष अदालत ने सितंबर 2018 में पूर्व इसरो वैज्ञानिक के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को मनोरोगी उपचार करार दिया था। साथ ही कहा कि उनकी स्वतंत्रता और गरिमा जो उनके मानवाधिकारों के लिए बुनियादी थी, खतरे में पड़ गई, क्योंकि उन्हें हिरासत में ले लिया गया। सभी के बावजूद अतीत के गौरव को अंततः निंदक घृणा का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा। जिसके बाद 15 अप्रैल, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इसरो वैज्ञानिक नारायणन से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में एक आदेश दिया, जिसमें कहा गया कि मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दी जाए।
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