मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने शनिवार को जापान की विवादास्पद सादो सोने की खदान को सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में पंजीकृत करने का फैसला लिया है। यह निर्णय टोक्यो और सियोल के बीच संबंधों में सुधार का संकेत है। उत्तरी जापान में निगाटा के तट पर एक द्वीप पर स्थित यह खदान 400 वर्षों तक संचालित हुई और 1989 में बंद होने से पहले दुनिया की सबसे बड़ी सोना उत्पादक थी।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह जापान द्वारा युद्ध के दौरान कोरियाई मजदूरों के साथ दुर्व्यवहार से भी जुड़ा है। वहीं, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। नेल्सन मंडेला लिगेसी साइट्स नाम से अपना नामांकन प्रस्तुत किया गया था। साथ ही प्राचीन रोम के पहले राजमार्ग एपियन वे को विरासत सूची में जोड़ा गया है। इसे रेजिना वियारम या सड़कों की रानी के रूप में जाना जाता है।
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