मप्र (भोपाल): रक्षाबंधन संसार का सर्वाधिक पुनीत पर्व है। किसी की रक्षा का वचन देना केवल परोपकार ही नहीं अपितु पुरुषार्थ सिद्धि का साधन है। अनादि काल से श्रेष्ठजन अपने अनुयायियों एवं प्रिय संबंधियों को रक्षा कवच के माध्यम से संवल प्रदान कर रहे हैं। क्योंकि आश्वस्ति से बड़ा कोई सहारा नहीं होता। प्रकृति में अनुकूलता उत्पन्न करना ही धर्म है और उसे बनाए रखना धार्मिकता! उक्त उदगार आचार्य डॉ निलिम्प त्रिपाठी ने व्यक्त करते हुए बताया कि – राखी, रक्षा की गारंटी है।
उन्होंने बताया कि भारतीय दर्शन में इसे श्रावणी उपक्रम के रूप में मानते हैं। पूर्व कृत कर्मों का प्रायश्चित करते हैं तथा सत्कर्मों का संकल्प लेते हैं। नई जनेऊ धारण करते हैं। आचार्य के निकट बैठकर वेदाध्ययन आरंभ करता हुआ शिष्य गुरु से रक्षासूत्र बंधवाकर आशीर्वाद प्राप्त करता है। इस पर्व का विस्तार ही राखी के रूप में आज हमारे सामने है। बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, माथे पर विजय तिलक करती है। संस्कृत पर्व के रूप में भी यह लोक पावन पूर्णिमा सबका कल्याण कर रही है।
आज के दिवस की दिव्य महिमा भी है। आज पूर्णिमा का सारा दिन उत्सव का दिन है। इसलिए तर्क और कुतर्क से परे होकर सारे दिन उत्सव मनाएं। सत्यनारायण जी की कथा करें, पंजीरी का प्रसाद चढ़ाएं और बांटें!
DailyAawaz की तरफ से पारस्परिक स्नेह के इस पावन पर्व पर मंगलकामनाएं और बधाई।
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, आज राखी पर्व दोपहर 1.30 के बाद मनाया जायेगा क्योंकि इस समय के बाद भद्रा का साया हट जाएगा। आज दोपहर 3 बजे से 6 बजे तक लाभ-अमृत का चौघड़िया है। आज के दिन को आनंद के साथ मनाएं।
#dailyaawaz #newswebsite #news #newsupdate #hindinews #breakingnews #headlines #headline #newsblog #hindisamachar #latestnewsinhindi
Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें