मप्र (भोपाल): मोबाइल उपयोग का बच्चों पर मनोवैज्ञानिक (Psychological) और मनो-सामाजिक (Psycho Social) प्रभाव गंभीर और व्यापक हो सकता है। यह प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक स्थिति, और सामाजिक संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं। उक्त विचार समाजसेवी एवं बिजनेसमैन गगनदीप बावा जो कि मनोविज्ञान की शैक्षणिक पृष्ठभूमि से हैं, ने गंभीरता से व्यक्त करते हुए बताया कि-
निम्नलिखित बिंदुओं में मोबाइल उपयोग के विभिन्न मनोवैज्ञानिक और मनो-सामाजिक प्रभावों को विस्तार से समझाया गया है:
मनोवैज्ञानिक प्रभाव (Psychological)
1. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई:
o ध्यान की कमी: मोबाइल फोन पर बार-बार स्वाइपिंग और मल्टीटास्किंग की आदत से बच्चों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इससे उनकी पढ़ाई और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में ध्यान देना मुश्किल हो जाता है, जिससे अकादमिक प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
2. याददाश्त में कमी:
o मेमोरी में कमी: बच्चों का मोबाइल फोन पर निर्भरता उनकी स्वाभाविक याददाश्त को कमजोर कर सकती है। वे महत्वपूर्ण जानकारी को याद रखने के बजाय डिजिटल उपकरणों पर स्टोर करने की आदत डाल सकते हैं, जिससे उनकी मेमोरी पर प्रभाव पड़ता है।
3. चिंता और अवसाद:
o सोशल मीडिया का दबाव: सोशल मीडिया पर लाइक्स, फॉलोवर्स, और टिप्पणियों की संख्या को लेकर बच्चों में चिंता और तनाव उत्पन्न हो सकता है। नकारात्मक टिप्पणियाँ और तुलना से उनकी आत्म-सम्मान में कमी और अवसाद जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
4. भावनात्मक अस्थिरता:
o भावनात्मक संकट: मोबाइल फोन पर अत्यधिक समय बिताने से बच्चों की भावनात्मक स्थिति प्रभावित हो सकती है। वे खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं और इस कारण मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
मनो-सामाजिक प्रभाव (Psycho Social)
1. सामाजिक कौशल में कमी:
o सामाजिक अलगाव: मोबाइल पर अधिक समय बिताने से बच्चों के वास्तविक जीवन के सामाजिक कौशल प्रभावित हो सकते हैं। वे वर्चुअल संवाद को प्राथमिकता देने लगते हैं, जिससे उनकी सामाजिक बातचीत में कमी आ सकती है और वे सामाजिक रूप से असंवेदनशील हो सकते हैं।
2. परिवारिक संबंधों में तनाव:
o परिवार के साथ समय की कमी: मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के कारण परिवार के साथ गुणवत्ता वाला समय बिताने में कमी आ सकती है। यह परिवारिक संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है और बच्चों के परिवारिक और सामाजिक विकास को प्रभावित कर सकता है।
3. स्वतंत्रता और आत्म-प्रबंधन में कमी:
o आत्म-प्रबंधन की समस्याएँ: मोबाइल फोन पर अधिक समय बिताने से बच्चों में आत्म-प्रबंधन की क्षमता में कमी आ सकती है। वे अपनी समय सारणी और प्राथमिकताओं को सही ढंग से मैनेज करने में असमर्थ हो सकते हैं।
4. वास्तविक और वर्चुअल दुनिया में फर्क:
o वास्तविकता की समझ: मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग बच्चों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं और चुनौतियों से दूर कर सकता है। यह उन्हें वर्चुअल दुनिया में अधिक संलग्न कर सकता है, जिससे वे वास्तविक जीवन की परिस्थितियों को सही ढंग से समझने और उनसे निपटने में असमर्थ हो सकते हैं।
समाधान और सुझाव
• समय की सीमा निर्धारित करें: बच्चों के मोबाइल फोन उपयोग के लिए स्पष्ट समय सीमा निर्धारित करें और उनकी स्क्रीन टाइम की निगरानी करें।
• सकारात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें: बच्चों को खेलकूद, पढ़ाई, और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
• वास्तविक दुनिया के अनुभव: परिवारिक समय बिताना और बच्चों को वास्तविक जीवन की गतिविधियों में शामिल करना उनकी मानसिक और सामाजिक विकास में सहायक हो सकता है।
• संवाद और समर्थन: बच्चों के साथ नियमित संवाद करें और उनकी भावनात्मक और मानसिक स्थिति को समझने के लिए समर्थन प्रदान करें।
इन उपायों के माध्यम से हम बच्चों को मोबाइल फोन के संभावित खतरों से बचाने और उनके मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।