मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी पर बड़ा बयान दिया है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी की अब जरुरत नहीं है। क्योंकि उपभोक्ता अब खुद ही ईवी या सीएनजी वाहन चुन रहे हैं। बीएनईएफ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि शुरुआत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की लागत अधिक थी, लेकिन जैसे-जैसे मांग बढ़ी, उत्पादन लागत कम होती गई, जिससे आगे सब्सिडी की जरूरत नहीं रह गई। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा, “उपभोक्ता अब खुद ही इलेक्ट्रिक और संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) वाहन चुन रहे हैं और मुझे नहीं लगता कि हमें इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ज्यादा सब्सिडी देने की जरूरत है।”
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मौजूदा समय में हाइब्रिड सहित आंतरिक दहन इंजन से चलने वाले वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाई जाती है, और इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाई जाती है। नितिन गडकरी से पहले केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बुधवार को सब्सिडी पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सरकार को एक या दो महीने में अपनी प्रमुख इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अपनाने की योजना FAME के तीसरे चरण को अंतिम रूप देने की उम्मीद है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा था कि एक अंतर-मंत्रालयी समूह योजना के लिए प्राप्त इनपुट पर काम कर रहा है, और फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक व्हीकल (FAME) योजना के पहले दो चरणों में मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से फिलहाल Electric Mobility Promotion Scheme (EMPS) 2024 के जरिए इलेक्ट्रिक दो पहिया और तीन पहिया वाहनों पर सब्सिडी को दिया जा रहा है। इस स्कीम के तहत सरकार इलेक्ट्रिक दो पहिया पर अधिकतम 10-11 हजार रुपये की सब्सिडी दे रही है। वहीं तीन पहिया वाहनों पर करीब 50 हजार रुपये तक की सब्सिडी को दिया जा रहा है। सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए साल 2015 में Fame सब्सिडी के पहले चरण को शुरू किया था। एक अप्रैल 2015 से लागू हुई इस स्कीम को पहले दो साल के लिए लागू किया गया था, लेकिन लोगों की रूचि बढ़ने के कारण इसे 31 मार्च 2019 तक बढ़ाया गया था। इस दौरान करीब 529 करोड़ रुपये के फंड को दिया गया था।
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