म.प्र.(भोपाल): मार्कण्डेय पुराण के अंतर्गत 81 से 93 तक तेरह अध्यायों में भगवती का जो वर्णन किया गया है, उसे दुर्गामाहात्म्य कहा गया है। इन तेरह अध्यायों का मंत्र शास्त्र के क्रम से मंत्रों में विभाजन करने से मन्त्र संख्या सात सौ होती है, इसलिए सामान्यतया इसे सप्तशती कहा जाने लगा। इसमें श्री दुर्गा के सती के सात रूप धारण कर अवतरित होने की कथा के कारण इसे सप्तशती, कई दैवी भक्त पंडितजन मानते हैं। पौराणिक आधार पर भगवान के दस अथवा चौबीस अवतारों के समान भगवती के अवतरण की विविध कथाएं हम पाते हैं। दूसरे साधनों के अनुसार भगवती के तीन चरित्रों में विभाजित इस रूपक में त्रिगुणात्मक सृष्टि के उसे अचिन्त्यरूपचरिता के सत, रज और तम के क्रियाकलापों का आधिभौतिक, अध्यात्मिक और आधिदैविक स्तर पर विवेचन दिखाई देता है। गुणात्मक सृष्टि के सात भेद हो जाते हैं- तम्, रज, सत, सत-रज, सत-तम्, तम्-रज और सत-रज-तम्। इन्हीं सात रूपों की कथा सती के सात रूप धारण करने से संबंधित है। कुण्डलिनी जागरण के अनुसार मूलाधार से लेकर सहस्त्रार तक के क्रम में सात चक्रों का भी विवेचन है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर और अहंकार रूप सात मानोविकारों के शमन का आख्यान है।
द्वितीय भगवती दुर्गा ब्रह्मचारिणी
सच्चिदानन्दमय ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति कराना जिनका स्वभाव है वह ब्रह्मचारिणी हैं। ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा नवरात्री के दूसरे दिन की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी ज्ञान और तप का प्रतीक हैं। ये भक्ति और साधना की देवी हैं। इनके हाथ में जप की माला और जल पात्र होता है। इनकी पूजा से समर्पण और संयम की प्राप्ति होती है।
स्मरण मंत्र
ददधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।
मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप का नाम ब्रह्मचारिणी है। यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या है। कठोर तपस्या और धैर्य तो इनकी पराकाष्ठा है। कठोर तपस्या की चारिणी होने के कारण ही इनकी प्रसिद्ध ब्रह्मचारिणी नाम से हुई। बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी इनकी कठोर तपस्या को देखकर दंग रह गये। इनका स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यन्त भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जपमाला, बायें हाथ में कमण्डलु और सिर पर स्वर्णमुकुट सुशोभित है। नवरात्र के दूसरे दिन इन्हीं की उपासना की जाती है। मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्त फल प्रदान करने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में त्याग, वैराग्य और असीम धैर्य की वृद्धि होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा सर्वत्र सिद्धि और विजय प्रदान करने वाली है।
माँ जगदंबा के चरण कमल में समर्पित लेख का द्वितीय पुष्प..🌹🙏🏻
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