विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत ने श्रीलंका की गंभीर आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए तीन अरब 80 करोड़ डॉलर की सहायता प्रदान की है। उन्होंने कहा है कि किसी अन्य देश ने इस साल श्रीलंका को इतना सहयोग नहीं दिया है। श्रीलंका संकट पर चर्चा के लिए केंद्र द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक संसद भवन सौध में सम्पन्न हो गई है। बैठक की अध्यक्षता करने के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट से गुजर रहा है। श्रीलंका हमारा करीबी पड़ोसी है और भारत एक सहायक भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी पड़ोसी देश में अस्थिरता या हिंसा है, तो यह भारत के लिए गहरी चिंता का विषय है।
बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, राजकुमार रंजन सिंह और वी मुरलीधरन भी मौजूद रहें। कांग्रेस, ऑल इंडिया एडीएमके, डीएमके, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआरसीपी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने बैठक में भाग लिया।
रविवार को सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान, डीएमके और ऑल इंडिया अन्ना डीएमके ने मांग की थी कि भारत को द्वीप राष्ट्र के आसपास के संकट में हस्तक्षेप करना चाहिए। विदेश मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा क्योंकि वे लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों के साथ-साथ स्थापित संस्थानों और एक संवैधानिक ढांचे के माध्यम से समृद्धि और प्रगति के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इस साल ही, भारत ने श्रीलंका को लगभग तीन अरब 80 करोड़ डॉलर की सहायता दी है। श्रीलंका में कल नया राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान होगा।
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