मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दीपावली पर आतिशबाजी को लेकर लोगोें का उत्साह शहर के पर्यावरण के लिए बहुत भारी पड़ा। इस उत्साह ने पर्यावरण का संतुलन पूरी तरह बिगाड़ कर रख दिया। प्रदूषण का आंकड़ा खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। दीपावली के पहले और उसके बाद रिकार्ड किया गए आंकड़े इसका प्रमाण है। दीवाली से पहले जो एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) नियंत्रण में था, आतिशबाजी के बाद उसमें दो गुणे की बढ़ोतरी हो गई। चिंता की बात यह कि प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बीते पांच वर्ष मेंं कभी भी एक्यूआइ का आकड़ा 300 के पार नहीं पहुंचा जबकि इस बार यह 321 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉर्ड हुआ। यानी आतिशबाजी के उत्साह ने दीवाली पर होने वाले प्रदूषण का नया रिकार्ड बना दिया। यह आंकड़े डराने और प्रदूषण को लेकर गहरा संदेश देने वाले हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आंकड़े जुटाने वाले मदनमोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के साइंटिफिक असिस्टेंट सत्येंद्र नाथ यादव ने बताया कि आतिशबाजी के बाद रिहाइशी इलाके में पीएम10 (पर्टिकुलेट मैटर) का स्तर तेजी बढ़ गया। इसके चलते एक्यूआई के स्तर से भी तेजी से बढ़ोतरी हो गई। पीएम10 217.98 से बढ़कर 366.84 तक पहुंच गया और एक्यूआइ 179 से बढ़कर 321 तक पहुंच गया। पीएम10 और एक्यूआई की बढ़ोतरी सांस के रोगियों के लिए अत्यधिक घातक है। मानक के अनुसार एक्यूआई का 300 से अधिक का आंकड़ा दायरे में आने वाले सभी को सांस का रोगी बना सकता है। बुजुर्गों के लिए तो यह जानलेवा बन सकता है।
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