मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पटना के गांधी मैदान थानांतर्गत गोलघर के सामने एकता भवन स्थित पुलिस बैरक में शनिवार की सुबह सहायक अवर निरीक्षक (एएसआई) अजीत कुमार सिंह (40) की संदिग्ध परिस्थितियों में सिर में गोली लगने से मौत हो गई। वे मूलरूप से भोजपुर जिले के तरारी थानांतर्गत बड़कागांव के निवासी थे। वर्तमान में पटना पुलिस लाइन में स्कार्ट ड्यूटी कर रहे थे। वारदात की सूचना पर सिटी एसपी (मध्य) स्वीटी सहरावत दलबल के साथ मौके पर पहुंचीं। घटनास्थल से सरकारी पिस्टल और खोखा बरामद किया गया। पिस्टल की नली में एक गोली फंसी थी, जबकि मैग्जीन से भी आधा दर्जन कारतूस जब्त किए गए। यह पिस्टल उसी बैरक में रहने वाले एक एसटीएफ के जवान के नाम से जारी थी। एसपी ने बताया कि साक्ष्य आत्महत्या की ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि, स्वजन ने कुछ लोगों पर संदेह जताते हुए हत्या की प्राथमिकी कराई है। पुलिस सभी संभावित बिंदुओं पर छानबीन कर रही है। पोस्टमार्टम कराने के बाद शव स्वजन को सौंप दिया गया। अजीत को पुलिस लाइन में भी आखिरी विदाई दी गई। फायरिंग की आवाज से सकते में आ गए पुलिसकर्मी एकता भवन (पुराना एसटीएफ मुख्यालय) के निचले तल पर यातायात कार्यालय है। पुलिस लाइन में पुरानी बैरक को ध्वस्त किए जाने के बाद पुलिसकर्मी यहां रहते हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अजीत के बैरक में 30-35 पुलिसकर्मी थे। सुबह में लगभग पौने पांच बजे फायरिंग की आवाज सुनाई दी, जिसके बाद पुलिसकर्मी सकते में आ गए। उन्होंने उठ कर देखा तो सामने कोई नहीं था। तभी उनकी नजर अजीत की चौकी के बगल में पड़ी। वहां अजीत पलथी मारे औंधे मुंह पड़े थे। सिर से काफी खून बह रहा था। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने गांधी मैदान थाने को सूचना दी। साथी पुलिसकर्मी अजीत की मौत को आत्महत्या बता रहे हैं। हालांकि, अब तक खुदकुशी का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। मौके से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है। मजबूत इरादे का था मेरा बेटा, नहीं कर सकता खुदकुशी अजीत के पिता पिता विनोद सिंह ने कहा कि मेरा बेटा मजबूत इरादे का सुलझा हुआ व्यक्ति था। वह आत्महत्या नहीं कर सकता। उसकी हत्या की गई है। उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति से अजीत का न तो विवाद चल रहा था और न ही किसी प्रकार का पारिवारिक कलह था, जिससे विवश होकर वह आत्मघाती कदम उठा सके। तीन दिनों पहले बेटे से बात की थी। बातचीत का लहजा भी सामान्य था। इस दौरान भी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि उनके मन में किसी बात को लेकर उधेड़बुन चल रही हो। उन्होंने स्वजन को बताया था कि त्योहार के कारण छुट्टियां रद हैं। वे दिवाली पर घर नहीं आ सकते, मगर छठ में आने की कोशिश करेंगे। भाई मुन्ना सिंह ने बताया कि अजीत मिलनसार स्वभाव के थे। गांव आने पर भी वे नाते-रिश्तेदारों और दोस्तों से गर्मजोशी के साथ मिलते थे। बिहार पुलिस में 2007 में उनकी नियुक्ति हुई थी। भभुआ जिले में पदस्थापन के दौरान पीटीसी की और चार महीने पूर्व एएसआई में प्रोन्नत होने के बाद पटना जिला बल में स्थानांतरित किए गए थे। वे चार भाइयों में दूसरे स्थान पर थे। उनके बड़े भाई सेना से सेवानिवृत्त हैं, जबकि मंझले निजी कंपनी में कार्यरत हैं। छोटे भाई रेलवे में लोको पायलट हैं। पिता गांव पर ही किसानी करते हैं। उनकी पत्नी शोभा देवी और 15 वर्षीय बेटी एवं 13 वर्षीय बेटा भी गांव पर ही रहते हैं।
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