मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिये जाएंगे। कपाट बंद करने की प्रक्रिया के तहत, पंच पूजा 13 नवंबर से शुरू होगी। मंदिर समिति ने कहा कि श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय कपाट बंद करने की प्रक्रिया के अवसर पर उपस्थित रहेंगे। बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि श्री पंच पूजा के तहत पहले दिन भगवान गणेश की पूजा की जाएगी। इसी दिन शाम को भगवान गणेश के पट बंद कर दिए जाएंगे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दूसरे दिन 14 नवंबर को आदि केदारेश्वर मंदिर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि तीसरे दिन 15 नवंबर को खड्ग-पुस्तक पूजा और वेद ऋचाओं का पाठ बंद रहेगा। चौथे दिन 16 नवंबर को मां लक्ष्मी जी को कढ़ाई भोग लगाया जाएगा। 17 नवंबर को रात्रि 9:07 बजे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। 18 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री कुबेर जी और उद्धव जी के साथ रावल जी के साथ अपने शीतकालीन प्रवास पांडुकेश्वर और श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। शीतकाल में श्री उद्धव जी और श्री कुबेर जी पांडुकेश्वर में ही रहेंगे। आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी 18 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के बाद 19 नवंबर को समारोहपूर्वक गद्दीस्थल श्री नृसिंह मंदिर, जोशीमठ पहुंचेगी। इसके साथ ही अपने शीतकालीन निवास श्री पांडुकेश्वर और श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजा का आयोजन किया जाएगा।
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