मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को अलगाववादी नेता यासीन मलिक द्वारा चिकित्सा देखभाल की मांग करने वाली याचिका को 18 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि मलिक, जो आतंकवाद-वित्तपोषण मामले में तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, इस बीच जेल के नियमों के अनुसार चिकित्सा उपचार प्राप्त करना जारी रखेंगे। मलिक ने पिछले सप्ताह हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें जेल के बाहर तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने की मांग की है। मलिक ने अदालत से एम्स या दिल्ली या श्रीनगर के किसी अन्य सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल में उसके इलाज के लिए निर्देश मांगा है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि जेल में सब कुछ उपलब्ध है और उचित जेल अस्पताल है। अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता की स्वास्थ्य स्थिति इतनी गंभीर है, तो भूख हड़ताल से उसे कोई सहायता नहीं मिलने वाली है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मलिक भूख हड़ताल पर है, क्योंकि उसकी कुछ मांगें हैं, जिसमें अदालती कार्यवाही में शारीरिक रूप से उपस्थित होना भी शामिल है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अपनी याचिका में, मलिक ने यह भी दावा किया कि वह गंभीर हृदय और गुर्दे की बीमारियों का रोगी है। याचिका में दावा किया गया है कि ऐसे कई मौके आए हैं, जब याचिकाकर्ता गंभीर रूप से बीमार था या ट्रायल कोर्ट के समक्ष उसकी उपस्थिति अनिवार्य थी। लेकिन सीआरपीसी की धारा 268 (मलिक को तिहाड़ जेल और दिल्ली तक सीमित रखने) की आड़ में उसे न तो अस्पताल ले जाया गया और न ही अदालत में पेश किया गया। दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने मलिक को कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराते हुए 24 मई, 2022 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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