मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली में एक बार फिर ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिए करोड़ों रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। इस बार दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाले सेवानिवृत्त इंजीनियर को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया है। रिटायर्ड इंजीनियर को घर में आठ घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ रखा गया। इस दौरान उनसे 10.3 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई। पुलिस इस घटना की जानकारी मिलने के बाद से तफ्तीश में जुटी है। दिल्ली पुलिस ने गुरुवार (14 नवंबर) को बताया कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के पीड़ित अपनी पत्नी के साथ रोहिणी के सेक्टर 10 में रहते हैं। उनकी शिकायत पर दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने प्राथमिकी दर्ज की है। इस मामले में पुलिस को अभी तक 60 लाख रुपये ‘फ्रीज’ करने में सफलता मिली है। दिल्ली पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा संदेह है कि धोखाधड़ी विदेश से कॉल करने वाले शख्स ने अंजाम दिया है। भारत में उनके सहयोगियों ने उन्हें रिटायर्ड इंजीनियर के बारे में जानकारी मुहैया कराने में मदद की है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दरअसल, रिटायर्ड इंजीनियर को ताइवान से आए पार्सल के बारे में कॉल आया। कॉल करने वाले ने शख्स ने बताया कि उसके नाम वाला पार्सल मुंबई एयरपोर्ट पर रोक लिया गया है। उसने आदमी को बताया कि पार्सल के अंदर ड्रग्स मिले हैं। कॉल करने वाले ने आगे कहा कि मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच के अधिकारी उससे बात करेंगे। शिकायत के अनुसार पीड़ित को वीडियो कॉल के लिए स्काइप डाउनलोड करने के लिए कहा गया। जैसे ही बुजुर्ग ने इस कॉल को अटेंड किया और उसके निर्देशों का पालन किया, उनके पास अचानक से एक शख्स की आवाज आई और उसने बुजुर्ग से सबसे पहले उनका नाम पूछा फिर उनसे जुड़ी तमाम जानकारी पूछी। फिर जो जानकारी बुजुर्ग ने दी, उसका इस्तेमाल करके उन्हें धमकाया गया। साथ ही ही कहा गया कि उनके नाम पर ताइवान से एक पार्सल आया है जिसके अंदर तमाम प्रतिबंधित दवाइयां है इस वजह से उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। फिर बुजुर्ग से बोला गया कि अगर वो बचना चाहते हैं तो सबसे पहले वो खुद को कमरे में बंद कर लें। अपने मोबाइल या लैपटॉप का कैमरा ऑन कर लें। जब तक वो कैमरे के सामने रहेंगे तब तक सेफ रहेंगे नहीं तो उन्हें पुलिस भेज कर गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उनके परिवार के दूसरे सदस्य भी खतरे में आ जाएंगे। इसके बाद बुजुर्ग घबरा गए। थोड़ी ही देर में उनके सामने स्क्रीन पर एक पुलिस वाला नजर आया जो खुद को मुंबई पुलिस का बता रहा था। फिर उसने मदद करने के नाम पर बुजुर्ग के खातों में जमा पैसे की जानकारी ली। कॉल पर आए इस फर्जी पुलिस अधिकारी ने बुजुर्ग से कहा कि वो अपने खातों में जमा रकम दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दें। ताकि जांच के बाद उन्हें सुरक्षित वापस कर दी जाए। इस पूरी घटना का खुलासा तब हुआ जब बुजुर्ग को एहसास हुआ कि वो ठगी का शिकार हो चुके है। बुजुर्ग का कहना है कि पुलिस मामले की जांच कर रही है। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक इसके बाद रिटायर्ड इंजीनियर को आठ घंटे तक डिजिटल अरेस्ट पर रहने के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद साइबर ठगों ने उसे कई खातों में 10.3 करोड़ ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया। इस घटना का शिकार होने के बाद पीड़ित ने अपने परिवार को अपराध के बारे में बताया। इसके बाद परिजनों ने अक्टूबर के पहले सप्ताह में पुलिस से संपर्क किया। फोन करने वाले ने कहा कि अगर उन्होंने पैसे नहीं दिए तो विदेश में रहने वाले उनके दो बच्चों को भी निशाना बनाया जाएगा। इस मामले में साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि साइबर ठग लगातार नए-नए तरीके अपना रहे हैं। लोगों को डरा का माहौल बनाकर ठग रहे हैं। इस तरह की ठगी से बचने के लिए लोगों को जागरूक होना चाहिए। किसी भी अनजान कॉल पर अपनी पर्सनल और बैंकिंग जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए। पुलिस ने भी लोगों को सलाह दी है कि किसी अनजान व्यक्ति या कॉल से सावधान रहें।
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