स्वाति मालीवाल केस: बिभव कुमार ने कोर्ट में दायर की याचिका, अदालत ने दिल्ली पुलिस को जारी किया नोटिस

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स्वाति मालीवाल केस: बिभव कुमार ने कोर्ट में दायर की याचिका, अदालत ने दिल्ली पुलिस को जारी किया नोटिस

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तीस हजारी स्थित सत्र अदालत राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल से मारपीट मामले में पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल के पूर्व निजी सहायक बिभव कुमार की उस पुनरीक्षण याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया जिसमें उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र के संज्ञान को चुनौती दी गई है। उनका मामला कोर्ट में लंबित है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अभिषेक गोयल ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई अगले माह के लिए सूचीबद्ध की गई है। बिभव के अधिवक्ता मनीष बैदवान ने मामले में सत्र अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर कर तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने विवादित आदेश पारित करते समय अपने विवेक का प्रयोग तो दूर की बात है, बल्कि प्रासंगिक कानून पर विचार किए बिना और बीएनएसएस में उल्लिखित प्रक्रिया का पालन किए बिना आदेश पारित कर दिया। अधिवक्ता ने दलील दी थी कि संज्ञान के लिए इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या नए बीएनएसएस के प्रविधानों के तहत आगे की कार्रवाई के लिए पर्याप्त आधार है? अधिवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान प्राप्त सीसीटीवी फुटेज जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य के संबंध में फॉरेंसिक साइंस लैब रिपोर्ट अभी भी लंबित है। महत्वपूर्ण साक्ष्यों पर विचार नहीं किया गया, लेकिन अदालत ने केवल अधूरे आरोपपत्र के आधार पर संज्ञान आदेश पारित किया। अधिवक्ता ने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट यह समझने में विफल रहा कि आइपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के दो भाग हैं- दो साल की कैद या जुर्माना या दोनों के साथ दंडनीय और दूसरे के लिए सात वर्ष की कैद की सजा है।

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अधिवक्ता ने दलील दी कि विवादित आदेश इस तथ्य पर चुप है कि क्या धारा 506 के पहले भाग या दूसरे भाग पर संज्ञान लिया गया है। अधिवक्ता ने दावा किया कि विवादित आदेश इस पहलू पर कानून की दृष्टि से दोषपूर्ण है। बिभव पर 13 मई को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर स्वाति मालीवाल पर हमला करने का आरोप है और फिलहाल वो जमानत पर हैं। बिभव कुमार के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने 17 जुलाई को आईपीसी प्रावधानों के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है, जिसमें धारा 201 (अपराध के साक्ष्य को गायब करना), 308 (गैरइरादतन हत्या का प्रयास), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 354बी (महिला के कपड़े उतारने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (किसी भी शब्द, हाव-भाव या वस्तु के इस्तेमाल से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) शामिल हैं। मजिस्ट्रेट अदालत ने 30 जुलाई को उनके खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था।

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