उत्तराखंड: देहरादून में अब सैलानी सुनेंगे बंगाल टाइगर की दहाड़, चिड़ियाघर लाए गए दो बाघ

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उत्तराखंड: देहरादून में अब सैलानी सुनेंगे बंगाल टाइगर की दहाड़, चिड़ियाघर लाए गए दो बाघ

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देहरादून चिड़ियाघर की शान बढ़ाने के लिए लाए गए दो रायल बंगाल टाइगर की दहाड़ अब आमजन सुन सकेंगे। कार्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला रेस्क्यू सेंटर से करीब नौ माह पूर्व लाए गए बाघों के सैलानी दीदार कर सकेंगे। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की अनुमति प्राप्त होने के बाद चिड़ियाघर में टाइगर सफारी का रास्ता खुल गया है। गढ़वाल के एकमात्र चिड़ियाघर में पहली बार गुलदार के साथ बाघ भी पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। इसके बाद अब चिड़ियाघर में हायना और भालू लाने की योजना है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसी वर्ष फरवरी में रामनगर से दो शावक दून लाए गए, जिन्हें चिड़ियाघर स्थित रेस्क्यू सेंटर में विशेषज्ञों की देखरेख में रखा गया था। ढेला रेस्क्यू सेंटर से दोनों शावकों को ट्रैंकुलाइज कर सड़क मार्ग से चिकित्सकों की टीम के साथ दून लाया गया। करीब एक माह तक विशेषज्ञ इनकी निगरानी की, ताकि ये नए बाड़ों में अभ्यस्त हो जाएं। साथ ही इनके खानपान का भी विशेष ध्यान रखने के साथ नियमित स्वास्थ्य जांच की गई। दरअसर, ढेला रेस्क्यू सेंटर में एक साथ 12 बाघ होने के कारण कुछ बाघों को अन्यत्र शिफ्ट करना आवश्यक था। साथ ही देहरादून चिड़ियाघर में बीते ढाई वर्ष से टाइगर सफारी को लेकर प्रयास किए जा रहे थे। अब एनटीसीए की अनुमति मिल चुकी है और वन मंत्री सुबोध उनियाल की उपस्थिति में रविवार को टाइगर बाड़ा का शुभारंभ किया जाएगा। देहरादून चिड़ियाघर में टाइगर सफारी शुरू करने की कवायद काफी समय से चल रही थी। इसके शुरू होने से यहां पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि होने की उम्मीद है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की टीम ने करीब दो वर्ष पूर्व यहां स्थलीय निरीक्षण किया और सहमति के बाद निर्माण कार्य शुरू किए गए। करीब 25 हेक्टेयर में फैले इस चिड़ियाघर में तीन किमी लंबा ट्रैक तैयार किया गया। इसके साथ ही बाघ, हायना समेत अन्य जीवों के बाड़े तैयार किए गए। अब बाघ के बाद भालू और हायना का इंतजार है। देहरादून चिड़ियाघर में सभी सफारी के लिए जिप्सी या अन्य वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों से सफारी कराने की योजना है। वन क्षेत्र में प्रदूषण दुष्प्रभाव को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई गई है। इस दिशा में वन विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि यहां जल्द इलेक्ट्रिक वाहन उपलब्ध हो जाएंगे।

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