मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दो अक्टूबर को मानसून की विदाई के बाद उत्तराखंड में इस बार वर्षा का इंतजार लंबा रहा है। हिमपात समय पर होने से ठंड भी दिसंबर शुरुआत में ही प्रभावी हो गई। मौसम का पिछला ट्रेंड बताता है कि 2019 के बाद सर्वाधिक ठंडा दिसंबर इस बार रहा है। दिसंबर 2019 में मुक्तेश्वर का न्यूनतम तापमान -2.1 डिग्री सेल्सियस पहुंचा था। इस वर्ष दिसंबर दूसरे सप्ताह में ही तापमान निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि पिछले 10 वर्षों में दिसंबर दूसरे पखवाड़े या फिर अंतिम सप्ताह में ही तापमान निचले स्तर पर पहुंचता रहा है। अक्टूबर व नवंबर में आए पश्चिमी विक्षोभ इस बार बहुत असरकारक नहीं रहे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिसंबर में आया पहला पश्चिमी विक्षोभ इतना मजबूत रहा कि उत्तराखंड में अधिकतर जिलों में हल्की वर्षा में 1700 मीटर से ऊंचाई वाली चोटियों पर हिमपात देखने को मिला। 2400 से 2500 मीटर की ऊंचाई वाले स्थानों पर दूसरे-तीसरे दिन भी बर्फ की मौजूदगी दिखी है। इसकी वजह से दिसंबर दूसरे सप्ताह ही चंपावत, नैनीताल के बाद अल्मोड़ा व बागेश्वर जिलों में तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया है। मुक्तेश्वर दो दिन मानइस में रहने के बाद बुधवार के तापमान में थोड़ी वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में पांच बार मुक्तेश्वर में दिसंबर का तापमान शून्य से नीचे पहुंचा है। चार बार 16 दिसंबर के बाद तापमान माइनस में गया। सबसे जल्दी 2019 में 14 दिसंबर को पारा शून्य से नीचे गया था। 2019 के बाद पिछले चार वर्षों में केवल 2021 में शून्य से नीचे (-1.0 डिग्री) तापमान गया। पिछले पांच वर्षों में इस बार दिसंबर में सबसे कम -1.8 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुंचा है।
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