भारत के बैंकिंग क्षेत्र, विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में उल्लेखनीय बदलाव देखा है: निर्मला सीतारामन

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मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है कि भारत के बैंकिंग क्षेत्र, विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में एक उल्लेखनीय बदलाव देखा है। उन्होंने धोखेबाजों द्वारा धन के असीमित स्रोत के रूप में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का इस्तेमाल करने के कांग्रेस नेता के आरोप को निराधार बताया। वित्तमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि नागरिकों पर केंद्रित शासन मोदी सरकार का मूल सिद्धांत है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए के शासनकाल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को संदिग्ध व्यापारियों के लिए ‘एटीएम’ के रूप में माना जाता था।

वित्तमंत्री ने इस बात का उल्‍लेख किया कि विभिन्न प्रमुख वित्तीय समावेशन योजनाओं के तहत 54 करोड़ जन-धन खाते और 52 करोड़ से अधिक जमानत-मुक्त ऋण मंजूर किए गए हैं। पीएम मुद्रा योजना के तहत 68 प्रतिशत और पीएम-स्वनिधि योजना के तहत 44 प्रतिशत लाभार्थी केवल महिलाएं हैं। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि यह मोदी सरकार के ‘अंत्योदय’ दर्शन का प्रमाण है।

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 10 वर्षों में 10 लाख रुपये तक के ऋण में 238 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और कुल ऋण में उनकी हिस्सेदारी 19 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई है। वित्तमंत्री ने कहा कि भर्ती अभियान और रोजगार मेला पहल ने बैंकों सहित सभी केंद्रीय सरकारी विभागों में लाखों रिक्तियां भरी हैं। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि 2014 के बाद से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 3 लाख 94 हजार कर्मचारियों की भर्ती की गई है।

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News & Image Source: newsonair.gov.in

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